Friday, November 22, 2024

अनमोल वचन

आप जो भी कर्म करते हैं उसमें इन्द्रिय मन और बुद्धि के साथ मौजूद रहो। एकाग्रता के साथ अपने सत्कर्मों में प्रवृत रहो। सत्कर्मों का पुंज ही आपका चरित्र है और चरित्र महापुरूषों का जीवित स्मारक। महापुरूषों के स्मारक इसीलिए निर्मित किये जाते हैं ताकि लोग उनके द्वारा जीवन में किये गये अच्छे कर्मों से प्रेरणा लेते रहे, किन्तु चरित्रवान लोग तो अपने जीवन में ही दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाते हैं। अपने लिए तो सभी जीते हैं, किन्तु आदर्श जीवन वह है जो दूसरों के लिए भी जिया जाये। आपके पास भोजन है और कोई भूखा आपके पास है तो भूखे को न खिलाकर स्वयं खा लेना शील का तिस्कार है, मानवता के विरूद्ध है। गौतम बुद्ध, महावीर, नानक, दयानन्द और विवेकानन्द ने मुक्ति का मार्ग पा लिया, किन्तु दुखों से कराहती मानवता के उद्धार के लिए उन्होंने अपनी मुक्ति को महत्व न देकर उनके कल्याण हेतु अपना जीवन समर्पित किया। वे अपने जीवन में ही जीवित स्मारक बन गये थे। उन्हें केवल स्वयं की मुक्ति की यात्रा रास नहीं आई। वे व्यक्तिगत मुक्ति के स्थान पर सर्व गत मुक्ति चाहते थे इसलिए महान कहलायें। उन्हें युगो-युगो तक जब तक सृष्टि रहेगी, श्रद्धा के साथ स्मरण किया जाता रहेगा।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,306FansLike
5,466FollowersFollow
131,499SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय