नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम को राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश पर शुक्रवार को रोक लगा दी, जिसमें उन्हें (पूर्व मुख्यमंत्री) और उनके परिवार के सात सदस्यों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले को बहाल किया गया था।
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न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस वी एन भट्टी की पीठ ने पनीरसेल्वम और अन्य की याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के आदेश को निलंबित करने संबंधी अपना आदेश पारित किया।
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शीर्ष अदालत ने इस मामले में अभियोजन एजेंसी सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) को भी नोटिस जारी किया।
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उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 29 अक्टूबर 2024 को निचली अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें अभियोजन पक्ष को पनीरसेल्वम और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले वापस लेने की अनुमति दी गई थी। निचली अदालत ने तीन दिसंबर, 2012 को आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने पाया कि उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के आदेश को वापस लेने में हस्तक्षेप किया था।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत को इस टिप्पणी के साथ आरोप तय करने का निर्देश दिया था कि प्रथम दृष्टया जरूरी साक्ष्य उपलब्ध हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के इन आदेशों के बाद आरोपियों को विशेष अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं द्वारा पेश किए गए इस बयान को दर्ज किया कि उच्च न्यायालय ने सीआरपीसी के तहत प्रदत्त शक्तियों का अधिग्रहण किया और फैसला किया कि विशेष न्यायाधीश को आरोप तय करने चाहिए।
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के 2012 के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (डीवीएसी) को पूर्व मुख्यमंत्री और उनके परिजनों के खिलाफ दर्ज 2006 के आय से अधिक संपत्ति के मामले को वापस लेने की अनुमति दी गई थी।
उच्च न्यायालय के इसी आदेश को पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य की ओर से शीर्ष अदालत में चुनौती दी गई थी।