समस्त सृष्टि और संस्कार में योग समाहित है। योग विकारों से मुक्ति का मार्ग है। योग हमारे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक ज्ञान का परिचायक है। योग की सार्थकता को दुनिया के लगभग सभी धर्मों ने स्वीकृति प्रदान की है। आत्मा को परमात्मा से जोडऩे का एक महत्वपूर्ण साधन योग ही है। इसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का गुण होता है।
सनातन परम्परा में योग को काफ़ी महत्व दिया गया है। तभी तो श्रीमद्भागवत गीता में योग शब्द का कई मर्तबा उपयोग किया गया है, जैसे बुद्धि योग, सन्यास योग, कर्मयोग इत्यादि। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण जी ने कहा ही है कि, योग: कर्मसु कौशलम। अर्थात कर्म में कुशलता ही योग है। इतना ही नहीं महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन में कहा है कि, योगश्चितवृतिनिरोध: जिसका अर्थ हुआ चित की वृतियों के निरोध का नाम योग है। वहीं विष्णु पुराण के अनुसार – योग: संयोग इत्युक्त जीवात्म परमात्मने अर्थात जीवात्मा तथा परमात्मा का पूर्णतया मिलन ही योग है।
योग एक प्राचीन परंपरा है। जो लगभग 5 हजार वर्षों से अनवरत चली आ रही है और इस योग परंपरा को नरेंद्र मोदी जी की सरकार में काफ़ी बढ़ावा मिला है। आज विश्व के 200 से अधिक देश भारत की इस गौरवशाली वैदिक परंपरा का अनुसरण कर रहे और जीवन को बेहतर बनाने का जरिया योग को बना रहे हैं। तो इसके पीछे अहम योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का है। उन्होंने योग को वैश्विक पटल पर स्थापित करने का कार्य किया है। योग को वैश्विक मान्यता मिल चुकी है। ऐसे में अब, योग जीवात्मा और परमेश्वर के मिलन का साधन मात्र ही नहीं बल्कि ईश साधना का भी साध्य बन चुका है। गीता का छठवां अध्याय योग को समर्पित है। योग की ताकत कोरोना काल में दुनिया ने देखी है।
योग और प्राणायाम ने जहां कोरोना काल में फेफड़ें को मजबूती प्रदान की। वहीं ऑक्सीजन का स्तर भी बढाने में मदद की। प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति सत्व प्रधान रही है और योग जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग हुआ करता था। जिसे कोरोना काल में पुन: एक बार मजबूती मिली। कोरोना काल के बाद से लोग योगिक जीवनशैली के प्रति सचेत हुए हैं। जो एक सुखद संदेश है। योग स्वयं को स्वस्थ रखने और इम्यून शक्ति बढ़ाने का सबसे उपयोगी साधन है और यही वजह है कि इसको वैश्विक स्तर पर प्रचारित-प्रसारित करने का काम केंद्र की सरकार कर रही है।
21 जून को ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के पीछे भी अपना वैज्ञानिक तर्क है। गौरतलब है कि 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध का सबसे लंबा दिन होता है और इसे ग्रीष्म संक्रांति के नाम से जाना जाता है। भारतीय परंपरा की मानें, तो ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन होता है और कहते हैं कि सूर्य जब दक्षिणायन में जा रहा होता है। उस समय आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने का समय होता है। यही वजह है कि इस दिन को योग दिवस के रुप में पहचान दी गई।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भी योग, मन और शरीर पर कार्य करने के अलावा मानवीय संबंधों को संतुलित और मजबूत बनाता है। 27 सितंबर, 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि, “योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। योग अभ्यास शरीर एवं मन; विचार एवं कर्म; आत्मसंयम एवं पूर्णता की एकात्मकता तथा मानव एवं प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करता है तथा यह स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है।
योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर जागरूकता उत्पन्न करता है तथा प्राकृतिक परिवर्तनों से शरीर में होने वाले बदलावों को सहन करने में भी सहायक हो सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का यह उद्बोधन अपने-आपमें योग का सविस्तार वर्णन है। योग को शब्दों में समेट पाना असंभव है। योग एक ऐसी प्रक्रिया है, जो जीवन में बदलाव लाने का साधन है। इस बार हम सभी 21 जून को 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मना रहे हैं। जिसकी थीम वन वर्ल्ड, वन हेल्थ रखी गई है।
ये थीम कहीं न कहीं भारतीयता और भारत के प्राचीनतम विचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत से प्रेरित है। इस बार का एक सुखद पहलू यह भी है कि इसी बीच हमारा देश जी-20 की अध्यक्षता भी कर रहा है और आजादी का अमृतकाल मना रहा है। आजादी के अमृतकाल में योग के माध्यम से हम वसुधैव कुटुकम्बकम की भावना को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। जिसके माध्यम से हम न सिर्फ अपनी परंपरा और संस्कृति का प्रसार दुनिया में करने में सफल होंगे, अपितु ज्ञान परंपरा और ऋषि-मुनियों के मूल्यों को जीवित रख पाएंगे। योग शरीर और मन को शांत रखने का एक बेहतरीन तरीका है।
यह शारीरिक और मानसिक अनुशासन का संतुलन बनाता है।
इसके अलावा यह तनाव और चिंता का प्रबंधन करने में भी मदद करता है। योग आसन शक्ति, शरीर में लचीलेपन और आत्मविश्वास को विकसित करने वाला कारक है। योग के माध्यम से हम अपने शरीर, मन और आत्मा को नियंत्रित कर सकते हैं। ऐसे में योग के महत्व को दुनिया को अंगीकार करने की आवश्यकता है और इस दिशा में दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
(लेखिका-सोनम लववंशी)