Thursday, November 14, 2024

अनमोल वचन

प्रत्येक तरल पदार्थ जल नहीं होता, क्योंकि जल के अतिरिक्त कई अन्य चीजें भी तरल पदार्थों के रूप में है, परन्तु उन सभी में जल के गुण हो ऐसा सम्भव नहीं। जल का जो अपना सबसे बड़ा गुण है वह है प्यास बुझाना तो हर तरल पदार्थ से प्यास नहीं बुझाई जा सकती।

इसलिए जल को वास्तविक रूप में ही प्राप्त करके ही उसके गुणों को जाना जा सकता है, नहीं तो केवल अनुमान ही रह जाते हैं। ऐसे ही इंसान अनुमानित भक्ति कर रहे हैं अर्थात ईश्वर के भिन्न-भिन्न रूपों को मात्र पढ-सुनकर एक अनुमान लगा लेते हैं कि ईश्वर ऐसा होगा।

उसी अनुमान के अनुसार ईश्वर के वास्तविक रूप को जाने बिना ही ‘भक्ति’ का दिखावा करने लगते हैं। ऐसे में कई बार ईश्वर को सीमित स्थान, दिशाओं और सीमाओं में सीमित कर देते हैं। कोई किसी आसमान पर, कोई किसी पर्वत पर, कोई क्षीर सागर में, कोई अमुक दिशा में मानकर उसे सीमित कर देता है। सीमा में बंधा ईश्वर तो सीमित क्षमताओं वाला ही होगा। वह सर्वज्ञ कैसे हो सकता है, जबकि परमात्मा सर्वज्ञ है।

ब्रह्मांड के प्रत्येक जीव के क्रिया-कलापों पर दृष्टि रखता है। ऐसा तभी कर सकता है, जब परमात्मा सर्वव्यापी होगा। तभी उसकी क्षमताएं भी असीमित होंगी। ईश्वर सर्व व्यापक होने से हमारे भीतर भी जिसके साक्षात के लिए किसी योगी सच्चे संत का मार्ग दर्शन लेना होगा।

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