छत्तीसगढ़ के किसानों की नई पहचान: इस खास टमाटर खेती से हो रही है 60 टन तक पैदावार और लाखों का मुनाफा
अगर आप भी टमाटर की खेती करते हैं या करने की सोच रहे हैं तो आज की ये खबर आपके लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है। छत्तीसगढ़ के किसानों के बीच इन दिनों टमाटर की एक नई उन्नत किस्म ने खेती की तस्वीर ही बदल दी है। यह किस्म अपनी ज्यादा पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण किसानों की पहली पसंद बन गई है और अब इससे किसान लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं।
इस उन्नत किस्म की सबसे बड़ी समस्या विल्टिंग रोग है जो मिट्टी और पानी के जरिए फैलता है और पौधों को मुरझा देता है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका शानदार समाधान ग्राफ्टिंग तकनीक के रूप में खोज लिया है।
ग्राफ्टिंग तकनीक में पौधे की जड़ वाले भाग में जंगली पौधे का उपयोग किया जाता है जबकि ऊपर का हिस्सा उन्नत टमाटर किस्म का होता है। इस प्रक्रिया से बना पौधा फंगस के प्रति अधिक प्रतिरोधक बन जाता है और उसकी पैदावार भी बढ़ जाती है।
यह तकनीक पहले फलों जैसे आम और अमरूद में अपनाई जाती थी लेकिन अब सब्जियों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार ग्राफ्टेड टमाटर पौधों से प्रति हेक्टेयर करीब 60 टन तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है जो पारंपरिक पौधों की तुलना में 25 से 50 प्रतिशत अधिक है।
इस नई तकनीक और किस्म ने किसानों की जिंदगी बदल दी है। जहां पहले उन्हें बीमारियों और कम उत्पादन से नुकसान झेलना पड़ता था अब वही किसान कम लागत में ज्यादा पैदावार लेकर बाजार में ऊंचे दाम पा रहे हैं।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विभाग और विशेषज्ञों के बयानों पर आधारित है। खेती से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने नजदीकी उद्यान विभाग या कृषि विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
