नवंबर की ठंड में मटर की खेती से होगी भरपूर पैदावार, जानिए कृषि वैज्ञानिकों के बताए घरेलू और प्राकृतिक नुस्खे जो बढ़ा देंगे फली की संख्या और मुनाफा
अगर आप किसान हैं या खेती से जुड़े हैं तो ये खबर आपके लिए बहुत काम की है। ठंड का मौसम शुरू होते ही किसानों के खेतों में मटर की फसल लहलहाने लगती है। यह समय मटर की बुवाई और बढ़वार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन कई बार फसल में कीट और रोग लगने से पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। ऐसे में अगर आप रासायनिक दवाइयों की जगह कुछ घरेलू और प्राकृतिक उपाय अपनाते हैं तो आपकी फसल न सिर्फ सुरक्षित रहेगी बल्कि पैदावार में भी जबरदस्त बढ़ोतरी होगी।
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि मटर की फसल को नाइट्रोजन की पर्याप्त मात्रा की जरूरत होती है। इसके लिए खेत की मिट्टी में सरसों की खली मिलाना बेहद फायदेमंद होता है। यह मिट्टी को पोषक तत्वों से भर देती है और पौधों को ताकत देती है। प्रति बीघा खेत में लगभग 20 किलो सरसों की खली डालने से फली भरपूर बनती है और दाने भी बड़े आते हैं।
मटर के पौधों पर कई बार ऐसे कीट भी आ जाते हैं जो पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनसे बचाव के लिए प्याज के छिलके बहुत असरदार उपाय हैं। एक किलो प्याज के छिलके 10 लीटर पानी में रातभर भिगो दें और अगले दिन उसे छानकर पौधों पर छिड़कें। यह घोल कीटों को पौधों के पास आने से रोकता है और पत्तियां हरी-भरी बनी रहती हैं।
पौधों की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए गुड़ और गोमूत्र का घोल बेहद कारगर माना जाता है। इसके लिए एक लीटर गोमूत्र में 50 ग्राम गुड़ मिलाकर पांच लीटर पानी में घोलें और इसे हफ्ते में एक बार पौधों की जड़ों में डालें। इससे पौधों की बढ़वार तेज होती है और फली अधिक लगती है।
मटर की फसल में फफूंदजनित रोग जैसे पाउडरी मिल्ड्यू या ब्लाइट भी आम हैं। इनसे बचने के लिए धनिया और अजवाइन का घोल बहुत असरदार है। इसके लिए 100 ग्राम धनिया और 50 ग्राम अजवाइन को पांच लीटर पानी में उबालें, ठंडा होने पर इसे छानकर पौधों पर छिड़कें। यह प्राकृतिक घोल फफूंद के विकास को रोकता है और पौधों को हरा-भरा बनाए रखता है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इन घरेलू और जैविक नुस्खों को अपनाने से मटर की उपज में करीब 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे न केवल लागत घटती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक बनी रहती है। जो किसान जैविक तरीके अपनाते हैं उनकी फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है और बाजार में उन्हें दाम भी अधिक मिलते हैं।
इसलिए दोस्तों अगर आप भी मटर की खेती कर रहे हैं तो इस सीजन में रासायनिक दवाइयों की जगह इन प्राकृतिक उपायों को जरूर अपनाएं। इससे आपकी फसल हरी-भरी, रोगमुक्त और अधिक उपज देने वाली बनेगी और मटर की बढ़िया पैदावार से आपकी जेब भी हरियाली से भर जाएगी।
