हरिद्वार। 25 जनवरी को एक दुर्लभ नजारा आकाश में दिखाई देगा। 6 ग्रह शुक्र, मंगल, गुरु, शनि, यूरेनस, नेपच्यून एक क्रम में आ जाएंगे। इसमें शुक्र, मंगल, गुरु, शनि को भारतीय समय के अनुसार शाम 5.37 मिनट से रात 7 बजे तक देखा जा सकेगा। यह नजारा सामान्य तौर पर दिखाई देगा, जबकि यूरेनस व नेपच्यून को देखने के लिए दूरबीन का सहारा लेना पड़ेगा।
ज्योतिषाचार्य पं. प्रदीप जोशी ने बताया कि वराहमिहिर ने अपनी पुस्तक वृहत जातकम में ऐसी घटना को बहुत दुर्लभ बताया है। इसको वृहत ग्रह चार (गोचर) नाम दिया है। इस गृह संयोग को प्रकृति के विनाश का कारक बताया गया है। अग्निकांड, नरसंहार जैसी घटनाएं इस दुर्लभ संयोग के बनने से बढ़ती हैं।
वराहमिहिर जैसे खगोलविद व गणितज्ञ के उल्लेख को आधार माने तो 16 मार्च से पांच ग्रह एक साथ आएंगे। यह संयोग बहुत ही नकारात्मक है और संपूर्ण विश्व में अनेक प्रकार की परेशानी व हलचल पैदा करेगा। भारतीय ज्योतिष में इसको काल खप्पर योग भी कहा गया है।
ज्योतिषाचार्य पं. प्रदीप जोशी ने बताया कि हालांकि कुंभ काल में ऐसी घटना बहुत ही दुर्लभ होगी। क्योंकि कुंभ 12 वर्षों के बाद आता है। उससे भी महाकुंभ 144 वर्षों के बाद आता है। इसमें भी नेपच्यून और यूरेनस बहुत वर्षों के बाद गति बदलते हैं। यह नजारा हमें इस सदी में नहीं दिखाई देगा। इसमें कुंभ काल का महत्व और भी अधिक होगा।
महा कुंभ में 6 ग्रह के एक क्रम में आने के दुर्लभ संयोग का अंक ज्योतिष और कई धार्मिक ग्रंथो में भी उल्लेख है। इसका उल्लेख वराहमिहिर ने भी अपनी पुस्तक वृहत जातकम में किया है। उन्होंने लिखा है कि यह घटना दुर्लभ होती है। वह भी यदि महाकुंभ के दौरान पड़े तो इसका दर्शन भी अद्भुत होगा।