Friday, November 22, 2024

धर्मांतरण के खिलाफ सख्त दिखे बाबा बागेश्वर, कहा – ‘हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते’

रायपुर। कथावाचक धीरेंद्र शास्त्री ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने धर्मांतरण को अस्वीकार्य बताया। बाबा बागेश्वर के नाम से मशहूर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “छत्तीसगढ़ में बागेश्वर धाम की जय-जय। बहुत अच्छा आयोजन हुआ। हम कवर्धा भी गए, हमने कबीरधाम में हनुमान जी के मंदिर का भूमि पूजन भी किया। इसके बाद हम कांकेर भी गए।

बहुत जल्दी हम बस्तर में धर्मांतरण को रोकने के लिए सनातन के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे। हम लोगों को हिंदुत्व के प्रति जागरूक करेंगे।” उन्होंने धर्मांतरण पर अपनी बात रखते हुए कहा, “पूर्व में धर्मांतरण के कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं। लेकिन, इस बीच कई लोगों की घर वापसी भी हो रही है। जैसे कल कांकेर में 11 लोगों की घर वापसी हुई। जब पूछा धर्म परिवर्तन कब हुआ था, तो किसी ने 2019 कहा तो किसी ने 2021 तो किसी ने 2020 कहा। हम इस धर्मांतरण को रोकेंगे।

इसके अंतर्गत भोले-भाले लोगों को फंसाया जा रहा है। इसमें विदेशी ताकतें भी शामिल हैं।” बस्तर में बढ़ रहे अपराध पर भी उन्होंने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “इसके पीछे शिक्षा का अभाव बहुत बड़ा कारण है, जिस वजह से अपराध के मामले बढ़ रहे हैं, शिक्षा का प्रसार अपराध को कम करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा। प्रदेश में अपराध कम होगा, तो विकास की गति खुद-ब-खुद तेज होगी।” यह पूछे जाने पर कि क्या धर्मांतरण के नाम पर आदिवासी संस्कृति को खत्म करने की कोशिश की जा रही है, धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “सुनियोजित तरीके से विदेशी ताकतें इसमें शामिल हैं। एशिया का सबसे बड़ा चर्च जशपुर में है। उन लोगों के द्वारा भी एक मानव श्रृंखला भी बनाई गई थी। हमें इसकी जानकारी मिली।

इसके बाद हमने अपने संगठन को प्रायोजित तरीके से खड़ा करने की कोशिश की है। हम उनके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह जो लालच देकर भोले-भाले आदिवासी, वनांचल में रहने वाले लोगों का धर्मांतरण किया जाता है, हम उसके खिलाफ हैं।” महाकुंभ में दुकान अल्टीमेटम को लेकर साधुओं की मांग पर उन्होंने कहा, “इनका कोई आयोजन होता है। इनका मक्का-मदीना है। वहां सनातनी हिंदुओं की दुकान नहीं है। वहां आप लोगों को जाने को नहीं मिलता है। हम आपको वीडियो दिखाएंगे कि वहां भगवा रंग के कपड़े पहनकर भी मक्का-मदीना में प्रवेश नहीं कर सकते हैं, तो फिर ऐसे में ‘मेरे अंगने में उनका क्या काम’। हमारे सनातन धर्म का महाकुंभ हमारे संतो की महिमा त्रिवेणी संगम की महिमा है।

हम सब जानते हैं कि हमारे शंकराचार्य अखाड़ा परिषद जो निर्णय लेंगे। हम उसमें सहमत हैं। अगर यह रोक लगा रहे हैं, तो यही सही है। हम मुसलमान के खिलाफ नहीं हैं। हम केवल अमानवीय कृत्य – ‘थूक कांड’ और ‘पेशाब कांड’ करने वाली मानसिकता के खिलाफ हैं।”

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