नोएडा। दिल्ली को नोएडा से जोड़ने चिल्ला एलिवेटड को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के साथ ही पीएम गति शक्ति योजना के तहत 100 करोड़ रुपए प्राधिकरण को मिल गए है। अब ब्रिज कॉर्पोरेशन निर्माण के लिए अपना टेंडर जारी करेगा। एलिवेटड का काम 18 महीने में पूरा करने का टारगेट दिया जाएगा।
दरअसल इस एलिवेटड को अब तक पूरा हो जाना चाहिए था। अभी इसका 13 प्रतिशत काम ही हो सका है। एलिवेटड निर्माण का सुपरविजन भी नोएडा प्राधिकरण को करना है। ऐसे में प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी निर्माण कंपनी को सिर्फ 18 महीने ही देंगी। उसी में निर्माण पूरा कर एलिवेटड का संचालन शुरू करना होगा। ये एलिवेटड दिल्ली और नोएडा के बीच ऐसा इंटर सेक्शन होगा, जिसके जरिए लोग नोएडा एक्सप्रेस वे तक सीधे जा सकेंगे।
इस एलिवेटड को दिल्ली के मयूर विहार फ्लाइ ओवर से जोड़ा जाएगा। यानी जिन वाहन चालकों को यमुना या लखनऊ एक्सप्रेस वे जाना है। वे इस इसका प्रयोग कर सीधे एक्सप्रेस पर जा सकेंगे। वर्तमान में वाहन चालकों को नोएडा प्रवेश द्वार से महामाया फ्लाईओवर तक का जाम झेलना पड़ता। ऐसे वाहन चालकों की संख्या करीब 5 लाख है। इनको महज 4.50 किमी के इस पेच को पार करने में 30 मिनट का समय लग जाता है। एलिवेटड के बनने से उनको जाम में नहीं फंसना होगा।
इसके अलावा अक्षरधाम, मयूर विहार से नोएडा, परी चौक, कालिंदी कुंज, सरिता विहार से आने वाले वाहन चालकों को जाम नहीं मिलेगा। ये एलिवेटड नोएडा के चिल्ला रेगुलेटर से महामाया फ्लाई ओवर तक करीब 5.96 किमी लंबी होगी। छह लेन की इस रोड पर 500 मीटर लंबे और 7.5 मीटर चौड़े 5 लूप बनाए जाएंगे। इसमें दो लूप चढ़ने के लिए। इसमें पहले चिल्ला से महामाया की तरफ जाने पर सेक्टर-15 शाहदरा ड्रेन के पास और सेक्टर-16बी के पास होगा। उतरने के लिए सेक्टर-16 , सेक्टर-18 और सेक्टर-16ए फिल्म सिटी के पास। महामाया फ्लाई ओवर के पहले चढ़ने और उतरने के लिए बॉटेनिकल गार्डन के पीछे लूप बनाया जाएगा। इन लूप के जरिए ट्रैफिक एलिवेटड पर फ्लोट होगा। एलिवेटड को बनाने की जिम्मेदारी ब्रिज कॉर्पोरेशन की है। जल्द ही टेंडर जारी करने जा रहा है। इसके निर्माण में 801 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें प्राधिकरण 74 करोड़ का काम पहले ही पूरा कर चुका है।
ये एलिवेटेड दो राज्यों को कनेक्ट करती है। इसलिए अनुबंध के तहत 50 प्रतिशत धन पीएम गति शक्ति योजना के तहत करीब 393 करोड़ रुपए आएगा। बाकी 50 प्रतिशत नोएडा प्राधिकरण खर्च करेगा। यह परियोजना वर्ष 2008 में तैयार हुई थी, लेकिन वर्ष 2019 में धरातल पर उतर सकी। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शिलान्यास के बावजूद भी इसका काम पूरा नहीं हो सका। इसका फिजिकल काम 13 प्रतिशत हो चुका है। इसकी नई डेड लाइन मार्च 2025 तय की गई है।