नोएडा। जनपद गौतमबुद्ध नगर के सत्र न्यायाधीश की अदालत ने दुष्कर्म के दो मामले की सुनवाई के दौरान एक को जमानत दे दी, वहीं दूसरे की जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि नाबालिग के साथ जबरन यौन उत्पीड़न एक जघन्य अपराध है। इसलिए आरोपी को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं होगा।
सत्र न्यायाधीश की अदालत ने कंप्यूटर सेंटर संचालक नूर हसन को दुष्कर्म के मामले में जमानत दी है। अदालत ने पीड़िता के साथ आरोपी के आठ वर्षों से संपर्क में रहने के मामले को देखते हुए गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना आरोपी को जमानत दी है। पीड़िता ने 18 सितंबर 2025 को थाना सेक्टर-63 पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पीड़िता के अनुसार आरोपी नूर हसन कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र चलाता है। पीड़िता ने आरोप लगाया कि जब वह कोर्स पूरा होने के बाद प्रमाण-पत्र लेने गई, तो नूर हसन ने उसे अलग कमरे में बिठाया और पानी में नशीला पदार्थ मिलाकर जबरन दुष्कर्म किया और आपत्तिजनक वीडियो बनाए। इसके बाद आरोपी ने धमकी देते हुए बार-बार शारीरिक शोषण किया। पीड़िता की शादी 22 अप्रैल 2023 को हुई थी, जिसमें आरोपी भी शामिल हुआ था। शादी के बाद भी आरोपी ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पीड़िता से ब्लैकमेल कर काफी रुपये ऐंठे। अंततः पीड़िता ने सब कुछ अपने पति और माता को बताया और मामला दर्ज कराया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और केस डायरी का अवलोकन करने के बाद जमानत दी है।
वहीं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी यशपाल की जमानत याचिका खारिज कर दी। मुकदमा थाना जेवर में दर्ज है। पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि आरोपी ने उसे कोई नशीला पदार्थ दिया और उसके बाद जबरन शारीरिक संबंध बनाए। आरोपी ने उसे धमकी भी दी कि अगर उसने यह बात किसी को बताई तो वह उसे मार देगा। आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता ने तर्क दिया कि एफआईआर तीन दिन की देरी से दर्ज की गई है, लेकिन देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया। छह महीने पहले शिकायतकर्ता ने आरोपी से 30 हजार रुपये उधार लिए थे और जब आरोपी ने अपने पैसे की मांग की तो शिकायतकर्ता ने उसे झूठा फंसा दिया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि इस स्तर पर एक नाबालिग पीड़िता द्वारा आरोपी के खिलाफ दिए गए बयान पर अविश्वास करने का कोई कारण नजर नहीं आता। अदालत ने आरोपी को जमानत देने से मना कर दिया।