लखनऊ। डेंगू मच्छरों से होने वाली एक वेक्टर जनित बीमारी है। हर साल हजारों लोग इससे पीड़ित होते हैं। लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साल 2016 से हर साल 16 मई को राष्ट्रीय डेंगू दिवस मनाया जाता है। डेंगू का प्रसार हर साल जुलाई और नवंबर के महीनों के बीच, मानसून और मानसून के बाद की अवधि में एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह एडीज मच्छर द्वारा फैलता है। इस बीमारी से उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरा देश प्रभावित होता है। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उत्तर प्रदेश पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि, “उत्तर प्रदेश में डेंगू सहित अन्य वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के उपाय मार्च महीने से शुरू किए जाते हैं। इसी क्रम में साल में तीन बार अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर माह में विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाता है। इसके तहत डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया सहित अन्य वेक्टर जनित बीमारियों से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कई गतिविधियां किए जाने के साथ गृह भ्रमण कर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा मच्छरों के प्रजनन स्त्रोत का पता लगाया जाता है और उन्हें समाप्त किया जाता है। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग सहित 12 अन्य विभाग प्रतिभाग करते हैं।
प्रदेश के सभी 75 जिलों में 86 एसएसएच प्रयोगशालाओं के साथ दो अपेक्स प्रयोगशालाओं के माध्यम से डेंगू और चिकनगुनिया के लिए एलाइजा जांच की जाती है। इसके अलावा रक्त से प्लेटलेट्स अलग करने वाली 34 इकाइयाँ क्रियाशील हैं तथा अन्य 40 इकाइयां प्रचलन के विभिन्न चरणों में हैं। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, संभागीय, जिला और ब्लॉक स्तर के अस्पतालों में सभी उपचार सुविधाओं और मच्छरदानी युक्त डेंगू वार्ड स्थापित किए गए हैं। डेंगू और चिकनगुनिया रोग की एलाइजा जांच के लिए एनएस 1 और आईजीएम एलाइजा किट उपलब्ध हैं।
भारत सरकार द्वारा जारी नए डेंगू नैदानिक प्रबंधन दिशानिर्देशों पर कुल 134 चिकित्सा अधिकारियों तथा कानपुर नगर और लखनऊ में निजी सुविधाओं के कुल 118 डॉक्टरों को मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया रोग प्रबंधन और उपचार प्रोटोकॉल पर प्रशिक्षित किया गया है।
डेंगू से बचाव के उपाए –
पूरी बांह के कपड़े पहनें।
सोते समय मच्छरदानी या मच्छररोधी क्रीम का उपयोग करें।
घर की खिड़की दरवाजों पर जाली लगवाएं।
घरों और ऑफिस में हर रविवार मच्छरों पर वार के तहत कूलर और जलजमाव वाले स्थानों की सफाई करें।
यदि कहीं पानी इकट्ठा है तो उसमें जला हुआ मोबिल ऑयल डाल दें।
डेंगू की पुष्टि होने पर योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।