मुंबई में कोर्ट क्लर्क 15 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार, ACB ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को बनाया वांछित आरोपी
Maharashtra News: मुंबई के मझगांव सिविल कोर्ट से जुड़ा एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अदालत के क्लर्क चंद्रकांत वासुदेव को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह रकम एक भूमि विवाद मामले में अनुकूल फैसला दिलाने के लिए मांगी गई थी। ACB ने इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाजुद्दीन सलाउद्दीन काजी को वांछित आरोपी घोषित कर दिया है।
"जज तक पहुंचनी थी रिश्वत की रकम"
अधिकारियों के अनुसार, शिकायतकर्ता से कुल 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई थी। इस रकम में से 10 लाख रुपये क्लर्क वासुदेव के लिए और 15 लाख रुपये न्यायाधीश काजी के हिस्से के थे। यह रिश्वत भूमि विवाद में कोर्ट के अनुकूल निर्णय के बदले मांगी जा रही थी।
"शिकायतकर्ता की सूझबूझ से फंसे आरोपी"
शिकायतकर्ता की पत्नी ने अपनी कंपनी की जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उसी मामले को बाद में मझगांव सिविल सत्र न्यायालय में ट्रांसफर कर दिया गया। जब क्लर्क ने लगातार फोन और दबाव डालना शुरू किया, तो शिकायतकर्ता ने ACB से संपर्क किया और 10 नवंबर को आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई।
"कॉफी शॉप में हुई रिश्वत की डील"
जांच के अनुसार, 9 सितंबर 2025 को शिकायतकर्ता के सहयोगी से संपर्क कर वासुदेव ने उन्हें चेंबूर स्थित कॉफी शॉप में मिलने बुलाया। वहीं पर 25 लाख रुपये की डिमांड रखी गई। रकम पर मोलभाव के बाद 15 लाख रुपये तय हुए। ACB की निगरानी में शिकायतकर्ता ने अदालत परिसर में रकम सौंपी, और उसी समय क्लर्क को गिरफ्तार कर लिया गया।
"जज पर भी गिरेगी गाज"
ACB के अधिकारियों ने बताया कि क्लर्क वासुदेव ने न्यायाधीश काजी को कॉल कर रिश्वत की सूचना दी, और काजी ने कथित तौर पर रिश्वत की बात स्वीकार की। अब दोनों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है। वासुदेव को 5 दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया है, जबकि न्यायाधीश काजी फरार हैं और वांछित आरोपी घोषित किए जा चुके हैं।
