Sunday, October 13, 2024

भगवान के नाम पर 23 रुपये किलो की लागत का देशी घी!

मंदिर में दीया जलाना हो, घर में पूजा के लिए इस्तेमाल करना हो, हवन करना हो या फिर किसी की मृत्यु हो जाने पर उसका अंतिम संस्कार करना हो तो हम बाजार जाकर ‘पूजा वाला देशी घी खरीदते है। बाजार में खाने वाला देशी घी कम से कम 800 रुपये प्रति किग्रा मिलता है, जबकि पूजा का घी मात्र डेढ़ सौ रुपये से साढ़े चार सौ रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है, हालांकि इस घी को बनाने की लागत मात्र 23 रुपये प्रति किग्रा आती है। मिलावटखोर तो आस्था के नाम पर ही चोट कर ही रहे हैं, हम स्वयं भी सस्ते के चक्कर में भगवान को चूना लगा रहे है। बाजार और मंदिरों के आसपास दुकानों पर यह नकली देशी घी खुले आम बिक रहा है, जिसे लोग भगवान के भोग व दीया-बाती और खान-पान तक में इस्तेमाल कर रहे हैं। खुलेआम बिक रहे ऐसे देशी घी के खिलाफ  चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग या फिर खाद्य विभाग की टीम ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
यही घी मंदिरों में चढ़ाया जा रहा है, वहीं घरों में पूजा के लिए भी यही नकली घी बिक भी रहा है।
विवाह, कुआं पूजन, नामकरण या फिर गृह प्रवेश हो, इन मांगलिक कार्यों में ये देशी घी खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। पंडित की ओर लिखी जाने वाली पूजन सामग्री के पर्चे को लेकर लोग दुकानदार के पास पहुंचते हैं और पूजन सामग्री को बिना जांचे-परखे पैकिंग करा ले आते हैं।  कानपुर में जाजमऊ से गंगा के किनारे  10 -12 किलोमीटर के दायरे में सैंकड़ों चमड़े व चर्बी की भट्टियां धधक रही हैं।
इस चर्बी से एनामिल पेंट, ग्लू फेविकोल आदि जिन्हें हम कागज, लकड़ी जोडऩे के काम में लाते है व तथाकथित पूजा वाला घी बनाया जाता है। इसका सबसे ज़्यादा प्रयोग भंडारे जैसे आयोजनों के लिए भी होता हैं। लोग 15 किलो वाला नकली घी का टीन खरीद कर मंदिरों में दान करके पुण्य कमा रहे हैं। यह बढिय़ा रवे दार दिखने वाला नकली देशी घी सुगंध में भी एसेंस की मदद से बेजोड़ होता है, जो लोग अनजाने खुद को शाकाहारी समझते हैं, जीवन भर मांस अंडा तक नहीं छूते, वे पूजा के नाम पर इसका उपयोग कर रहे है। यदि घी का रंग चटक लाल हो जाये, तो घी में डालडा मिलाया गया है।
एक चम्मच घी में चार से पांच बूंद आयोडीन मिलाएं, घी का रंग नीला पड़े, तो उबला हुआ आलू मिलाया गया गया है। एक चम्मच घी में दो एमएल हाइड्रो क्लोरिक एसिड डालने पर घी लाल हो जाये, तो कोलतार डाई का इस्तेमाल किया गया है। थोड़ा सा घी लेकर हथेली के पीछे भाग में रगड़ें. यदि 25 मिनट में ही घी का सुगंध चला जाये तो मिलावटी घी होगा।
-डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
(लेखक उत्तराखंड उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता व उपभोक्ता आंदोलन के प्रणेता है)

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