अनमोल वचन
Thu, 8 Apr 2021

कुछ लोग अपने जीवन रूपी कक्ष को भोग विलास रूपी गन्दगी से भरने में ही अपनी सफलता मानते हैं। कुछ धन-दौलत, मान-प्रतिष्ठा आदि घास-फूंस से भरने में ही अपनी कुशलता देखते हैं। कुछेक मनुष्य हैं, जो अपने जीवन रूपी कक्ष को प्रेम श्रद्धा और सत्य से सजाते हैं। प्रेम प्रकाश है, श्रद्धा सुगन्ध है और सत्य संगीत है। यही जीवन का श्रेयस का तत्व है। इसी से मनुष्य परमात्मा के साम्राज्य का अधिकारी बनता है। भोग विलास नश्वर है, क्षणिक है, धन-दौलत, मान-प्रतिष्ठा क्षणिक है। प्रेम शाश्वत है, श्रद्धा शाश्वत है और सत्य शाश्वत है। ये ही आत्मा के सच्चे श्रृंगार हैं, यही आत्मा की वास्तविक सम्पदा है, एक ऐसी सम्पदा जो कभी नष्ट नहीं होती, जो कभी मरती नहीं। नि:संदेह जीवन क्षणिक है, परन्तु क्षणिक जीवन को हम प्रेम के प्रकाश से प्रकाशित बना सकते हैं। इस छोटे से जीवन में हम प्रेम के माध्यम से समष्टि को अपना बना सकते हैं। जीवन क्षणिक है, पर श्रद्धा की सुगन्ध से इस जीवन और जगत को हम सुगन्धित बना सकते हैं। जीवन क्षणिक है, पर सत्य के संगीत पर हम ऐसा गीत गा सकते हैं, जिसमें सृष्टि का कण-कण झंकृत हो सकें।