अनमोल वचन
Mon, 10 Jan 2022

साहसी और पुरूषार्थी का प्रकृति तथा परमात्मा भी साथ देते हैं। निरूत्साही-आलसी का साथ उसका शरीर तथा सम्बन्धी भी नहीं देते। प्रत्येक शुभ कार्यों में साहसी तथा पुरूषार्थी बनो। लक्ष्य की ओर बढते रहो, कभी तो लक्ष्य प्राप्त होगा ही, साहस का पाठ नवजात शिशुओं से लें। शिशु अनेक बार गिरने-सम्भलने का क्रम जारी रखता हुआ, साहस का त्याग नहीं करता। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने तक अपने प्रयासों को विराम नहीं देता। उसी प्रकार मनुष्य को चाहिए कि नाना प्रकार की कठिनाईयां आने पर भी सन्मार्ग से विचलित न हो। सदा कर्मशील, गतिशील रहे। याद रखे गति के कारण ही पत्थर हीरे-माणिक बनते हैं। उनका मूल्य और महत्व दोनों बढते हैं। प्रकृति के प्रत्येक कण में गति का नाद छिपा है। वे ऊपर से मौन और स्थिर, किन्तु भीतर से गतिमान। इसलिए हम भी गतिशील रहे। अपने लिए, समाज के लिए, देश के लिए हमारी उपयोगिता बनी रहे, किन्तु ऐसी गतिशीलता से दूर रहे, जो दूसरों के जीवन में कडुवाहट घोल दे, दूसरों के लिए परेशानियों का कारण बने।