अनमोल वचन
Tue, 11 Jan 2022

हम इस मिथ्या धारणा से ग्रसित हैं कि केवल धन ही हमें खुशियां प्रदान कर सकता है। हम सोचते हैं अधिक धन होने से हमें सुख मिलेगा, अधिक खुशियां प्राप्त होंगी, यह हमारा भ्रम है। बड़े-बड़े धनपतियों को आत्महत्या करने पर बाध्य होते देखा है, उनकी संतानों को उन्हीं के सामने काल के गाल में समाते देखा है। सोचते हैं सुन्दर स्त्री होने से सुख होगा, सुन्दर पति होने से सुख मिलेगा। संतान होगी तो सुख प्राप्त होगा। यह सब कुछ मिल जाता है फिर भी, सुख की छाया दूर ही रहती है, बल्कि कलह मिलती है, अपमान मिलता है, अशान्ति मिलती है, परन्तु सुख नहीं मिलता। इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि हम कृतघ्न हो जाते हैं। जिसने सब कुछ दिया, उसका धन्यवाद करने की बजाय हम उससे अतिरिक्त की इच्छा करने लगते हैं। पर्याप्त होते हुए भी कहते-रहते हैं थोड़ा और होता। धन, सुन्दर स्त्री तथा सन्तान होते हुए भी यदि विचारों में विकृति हो तो मनुष्य सुखी हो ही नहीं सकता। सुख-शान्ति की कामना है तो श्रेष्ठ विचारों की पूंजी अपने पास होना अनिवार्य है। सुख-शान्ति तो अन्त:करण में है, धन-दौलत, स्त्री से क्षणिक सुख तो मिल सकता है, परन्तु आनन्द नहीं। अनन्त आनन्द की चाह है तो श्रेष्ठ विचारों की उपासना करनी होगी, उन्हें अपने व्यवहार में लाना भी होगा। प्रभु का आभार भी साथ साथ जताते रहना होगा।