जुबीन गर्ग: दिलों में बस जाने वाली आवाज का सफर, जिन्होंने संगीत की दुनिया को दिया नया रंग
मुंबई। संगीत की दुनिया में कई ऐसे कलाकार आते हैं, जिनकी आवाज लोगों के दिलों में हमेशा बस जाती है। जुबीन गर्ग भी उन्हीं में से एक थे। उनकी गायकी ने बॉलीवुड, असमिया, बंगाली, उड़िया, तमिल और कई अन्य भाषाओं के संगीत को नई पहचान दी। जुबीन गर्ग का नाम सुनते ही एक खास रिदम और दिल को छू जाने वाली आवाज कानों में गूंजने लगती है। जुबीन गर्ग का नाम प्रसिद्ध संगीतकार जुबिन मेहता के नाम पर रखा गया था।
1995 में जुबीन मुंबई चले आए और इंडीपॉप एल्बम 'चांदनी रात' से अपना करियर शुरू किया। इसके बाद उन्होंने 'जलवा', 'युही कभी', 'जादू' और 'स्पर्श' जैसे एल्बम दिए। बॉलीवुड में भी जुबीन ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उन्होंने 'गद्दार', 'दिल से', 'डोली सजा के रखना', 'फिजा', 'कांटे' और 'सपने सारे' जैसी फिल्मों में गाने गाए। उनके हिट गानों ने उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दिलाई। जुबीन ने सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि बंगाली म्यूजिक इंडस्ट्री में भी खूब नाम कमाया। उन्होंने 'मोन', 'शुधु तुमी', 'पिया रे पिया रे', और 'चोखेर जोले' जैसे गानों से बंगाली दर्शकों का दिल जीता। उनके इस बहुभाषी करियर ने उन्हें एक ऐसा कलाकार बना दिया, जो किसी सीमाओं और भाषाओं के बंधन में नहीं बंधे।
जुबीन गर्ग ने 40 से ज्यादा भाषाओं में गाने गाए और उनकी आवाज हर जगह पहचानी जाने लगी। जुबीन गर्ग को कई पुरस्कार भी मिले। उनकी मेहनत और लगन को इंडस्ट्री ने हमेशा सराहा। खासकर 'गैंगस्टर' के लिए उन्हें बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवार्ड मिला। इंडीपॉप, बॉलीवुड और रीजनल म्यूजिक में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। इसी साल, 19 सितंबर 2025 को जुबीन गर्ग की मौत की खबर सामने आई। बताया गया कि सिंगापुर में एक स्कूबा डाइविंग के दौरान उनकी डूबने से मौत हो गई, हालांकि इस मामले पर एसआईटी जांच जारी है।
