Tuesday, October 22, 2024

नहीं रहे मशहूर शायर फहमी बदायूंनी,लोगों ने नम आंखों से दी आखिरी विदाई

 

नई दिल्ली। मशहूर शायर पुत्तन खां फहमी बदायूंनी का सोमवार को बिसौली कस्बे के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनके निधन पर दुनियाभर के साहित्यकारों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। 72 वर्षीय फहमी बदायूंनी की तबीयत पिछले एक महीने से खराब चल रही थी और रविवार शाम को उनका निधन हो गया। सोमवार को ईदगाह रोड पर नमाज-ए-जनाजा अदा की गई और दोपहर करीब दो बजे उन्हें कब्रिस्तान में दफनाया गया। इस मौके पर कई मशहूर शायर और कवि भी जनाजे में शामिल हुए। उनके बेटे जावेद ने पिता की कब्र को मिट्टी दी, जबकि दूसरा बेटा नावेद रूस में होने की वजह से शामिल नहीं हो सका।

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पुत्तन खां फहमी का जन्म 4 जनवरी 1952 को बिसौली कस्बे के मोहल्ला पठान टोला में हुआ था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लेखपाल के रूप में नौकरी शुरू की, लेकिन इसमें उनका मन नहीं लगा। 1980 के दशक में उन्होंने शायरी की दुनिया में कदम रखा। शुरुआत में उन्होंने बिसौली और उसके आस-पास के मुशायरों में भाग लिया। एक मुशायरे में उन्होंने शेर पढ़ा:

“प्यासे बच्चे पूछ रहे हैं, मछली-मछली कितना पानी,
छत का हाल बता देता है, परनालों से बहता पानी।”

उनका यह शेर बेहद प्रसिद्ध हुआ और इसके बाद उनकी शायरी को व्यापक पहचान मिली।

पुत्तन खां फहमी बदायूंनी ने तीन किताबें भी लिखीं, जिनमें “शेरी मजमूए,” “पांचवी सम्त,” और “दस्तकें निगाहों की” शामिल हैं। इनमें से “पांचवी सम्त” को लोगों ने काफी सराहा। फहमी बदायूंनी अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे और उन्होंने दुनिया की चकाचौंध से काफी दूरी बनाए रखी। उनका घर आज भी काफी पुराना है, जो उनकी जड़ों को दर्शाता है।

उनके शागिर्द आज भी उन्हें याद करते हुए उनके कुछ मशहूर शेर पढ़ते हैं, जैसे:

“हमारा हाल तुम भी पूछते हो,
तुम्हें मालूम होना चाहिए था।”

यह शेर उनकी गहरी भावनाओं और शायरी की उत्कृष्टता को दर्शाता है, जो उनकी अद्वितीय शैली को उजागर करता है।

पुत्तन खां फहमी बदायूंनी शायरी की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, जिन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उनके कुछ मशहूर शेर आजकल इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खासा लोकप्रिय हैं। उनके द्वारा लिखे गए ये शेर दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ते हैं, जैसे:

“आज पैबंद की जरूरत है,
ये सजा है रफू न करने की…”

और

“मुझे तुमसे बिछड़ना ही पड़ेगा,
मैं तुमको याद आना चाहता हूं…”

इन शेरों में उनकी भावनाओं की गहराई और सादगी झलकती है, जो उन्हें युवा पीढ़ी के बीच खासा प्रिय बनाती है। फहमी साहब की शायरी न केवल दिल को छूती है, बल्कि जीवन के जटिल पहलुओं को भी सरलता से व्यक्त करती है।

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