कैंसर एक ऐसा गंभीर रोग है कि जब इसका पता चलता है तो रोगी और उसके निकट संबंधियों को धक्का लगता है और वे दहशत में आ जाते हैं। यदि कैंसर का शुरूआत में ही पता चल जाए तो इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
जब तक किसी निकट सम्बन्धी को कैंसर नहीं हो जाता, तब तक कोई भी इसे रोकने को कोशिश नहीं करता।
यह सिद्ध हो चुका है कि कुछ विटामिन और रेशे कैंसर से बचाव में सहायता करते हैं। खाने-पीने की चीजों में फल एक ऐसी चीज हैं जिनमें विटामिन और रेशे भरपूर पाए जाते हैं।
पहले से यह नहीं बताया जा सकता कि किसे कैंसर होगा और किसे नहीं। यदि आप रोज फल खाने की आदत डालें तो आपके शरीर को कैंसर से मुकाबला करने में सहायता मिलेगी।
फेफड़ों के कैंसर वाले रोगियों पर जापान में अध्ययन किया गया था। यह पाया गया कि जो लोग सप्ताह के हर दिन फल खाते हैं या फलों का रस पीते हैं, उन्हें फेफड़ों का कैंसर होने की सम्भावना कम ही रहती है। फलों में रेशा भी बहुत अधिक होता है, इसलिए फल खाने वाला व्यक्ति बड़ी आंत के कैंसर से बचा रहता है। भोजन में रेशे की मात्रा ज्यादा रहने से आंतें अच्छी तरह से हरकत करती हैं। इसके अलावा रेशा आंतों की दीवारों से कैंसर पैदा करने वाले रसायनों को ज्यादा देर तक नहीं चिपके रहने देता है।
विटामिन ए युक्त फल
विटामिन ‘ए’ सामान्य रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाने में मदद करता है। रोग प्रतिरोधी शक्ति बेकार हो जाने से ही कैंसर होता है। हरे या नारंगी, पीले रंग के फलों में बीटा कैरोटिन भरपूर मात्र में पाया जाता है। यह विटामिन ए का ही एक प्रकार है। आम, पपीते, गाजर और खुबानी में यह विटामिन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। कहां जाता है कि हमारे शरीर में कैंसर पैदा करने वाले ‘फ्री रेडिकल्स’ को विटामिन ए निष्क्रिय कर देता है।
विटामिन सी युक्त फल
विटामिन सी एक ऐसा विटामिन है जो रोग प्रतिरोधी शक्ति बढ़ाता है, विटामिन सी तरह-तरह की एलर्जियों, सामान्य जुकाम और गम्भीर इन्फेक्शनों से भी बचाता है। उसमें एण्टी आक्सीडेंट होते हैं जो कैंसर रोकने में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं।
विटामिन सी खट्टे स्वाद वाले नींबू, संतरा आदि रसीले फलों से मिलता है। इन फलों में एक महत्वपूर्ण पदार्थ बायोफ्लेवोनायड्स पाया जाता है। बायोफ्लेवोनायड्स हमारी त्वचा, पाचन प्रणाली, फेफड़ों और जिगर में पाये जाने वाले एक खास एन्जाइम के कैंसर रोधी कार्य को बढ़ा देता है।
बायोफ्लेवोनायड्स हानिकारक पदार्थों को पानी में घुल जाने वाले पदार्थों में बदल देता है जो पसीने और पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इस तरह कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
कैंसर से बचने की बात को ध्यान में रखते हुए फलों को ताजा और समूचा खाया जाए न कि डिब्बाबंद फल या रस का सेवन किया जाए। डिब्बाबंद फल और फलों के रस में कैंसर रोधी या कैंसर से बचाने वाले तत्व बहुत कम होते हैं, इसलिए ताजा और समूचे फल का सेवन किया जाए। यह सब कहने का मतलब है कि रोज ताजे फल खरीद कर खाए जाएं। फ्रिज के बाहर फलों को ज्यादा देर तक न रखें। फलों के सेवन से ठीक पहले ही काटें ताकि इनके पोषक तत्व नष्ट होने से बचे रहें।
– संजीव कुमार