नई दिल्ली। विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं पर लगने वाला टैक्स अब खत्म करने का निर्णय लिया गया है। यह फैसला लागू होने से नीट, यूजीसी नेट, जेईई जैसी अनेक परीक्षाओं की फीस कम हो जाएगी और इसका सीधा लाभ इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों को मिलेगा। जीएसटी काउंसिल द्वारा लिए गए इस निर्णय से छात्र काफी खुश हैं। छात्रों के मुताबिक, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा लिए जाने वाली कई परीक्षाओं पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउसिंल की मीटिंग में एंट्रेस टेस्ट पर लगने वाले टैक्स को समाप्त करने का फैसला किया गया है। जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में एनटीए द्वारा आयोजित एंट्रेंस टेस्ट पर लगने वाले टैक्स को समाप्त करने का फैसला किया गया था। जीएसटी काउंसिल के इस निर्णय से विभिन्न प्रकार के एंट्रेंस टेस्ट की फीस अब कम हो जाएगी। अभी तक एंट्रेंस टेस्ट की फीस के साथ 18 प्रतिशत जीएसटी लगता था। सरकार के इस फैसले से नीट, जेईई, नेट जैसे एंट्रेंस टेस्ट देने वाले लाखों छात्रों को कम फीस देनी पड़ेगी। वही जीएसटी काउंसिल ने पेंसिल औरशॉर्पनर पर लगने वाले टैक्स को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जीएसटी काउंसिल द्वारा एनटीए के माध्यम से आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं को ‘वस्तु एवं सेवा कर’ से छूट देने संबंधी निर्णय का स्वागत किया है। इस निर्णय से देश के लाखों छात्रों को शुल्क में राहत मिलेगी। जीएसटी के माध्यम से देश की कर व्यवस्था में सुधार की घोषणा के बाद से ही अभाविप ने छात्रों तथा युवाओं से जुड़े विषयों को कर से राहत देने की मांग की थी तथा केंद्रीय वित्तमंत्री के समक्ष भी प्रवेश परीक्षा पर से जीएसटी हटाने का विषय प्रमुखता से उठाया था। विद्यार्थी परिषद का कहना है कि जीएसटी काउंसिल ने इस दिशा में छात्रों के हित में वस्तु और सेवा कर से छूट देने संबंधी निर्णय लिया है, यह कदम अभिनंदनीय है।
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल का नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा आयोजित किए जाने वाली प्रवेश परीक्षाओं व अन्य परीक्षाओं को जीएसटी कर मुक्त करने का निर्णय स्वागत योग्य है। पूर्व में 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगने से शुल्क और बढ़ जाता था, इसके संदर्भ में अभाविप ने जीएसटी कर से राहत की मांग भी की थी। विभिन्न परीक्षाओं तथा नौकरियां के लिए जाना वाला शुल्क विद्यार्थियों की आर्थिक सुविधानुसार होना चाहिए।