गांधीनगर। गुजरात के गांधीनगर के पालज गांव में 700 वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, इस वर्ष भी होलिका दहन बड़े धूमधाम से किया गया। यहां की होली पूरे राज्य में सबसे बड़ी मानी जाती है। इस आयोजन में गांव के युवाओं ने 20 दिन पहले से लकड़ियां एकत्रित कर, 35 फुट ऊंची विशाल होली तैयार की, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां आते हैं। फागुन की पूर्णिमा के दिन गुरुवार को होलिका दहन किया गया।
इस मौके पर करीब पांच हजार लोग एकत्रित हुए और श्रद्धा के साथ इस धार्मिक कार्यक्रम का हिस्सा बने। खास बात यह है कि यहां के लोग हर साल होलिका दहन के समय अंगारों पर भी चलते हैं, लेकिन उन्हें कोई भी चोट या नुकसान नहीं पहुंचता, जो इस स्थान की आस्था और विश्वास को और मजबूत करता है। पालज गांव की होली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व स्थानीय लोगों के लिए एक अनूठी परंपरा के रूप में प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। वहीं, वडोदरा के मंजलपुर इलाके में हर साल की तरह इस बार भी परंपरागत तरीके से होलिका दहन किया गया। यह वडोदरा की सबसे बड़ी होली मानी जाती है, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां जुटे। होलिका दहन के अवसर पर लोगों ने मां होलिका की पूजा और अर्चना की। इस आयोजन के लिए मंजलपुर गांव के लोग एक महीने पहले से ही तैयारियों में जुट जाते हैं, जिसमें लकड़ी, पतंग और अन्य सामग्री एकत्रित की जाती है।
मंजलपुर गांव के लोग मिलकर विधिपूर्वक होलिका माता की पूजा करते हैं और इसके बाद होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है। यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें गांव के सभी लोग एकजुट होकर इस अनूठी परंपरा को जीवित रखते हैं। वहीं, गुजरात के सुरेन्द्रनगर जिले के चोटिला स्थित चामुंडा माताजी के मंदिर में इस वर्ष भी परंपरागत तरीके से होलिका दहन उत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर मंदिर में ध्वजा बंधन कर, सूखा नारियल और गाय के गोबर से बने उपलों से होली प्रकट की गई। इस पवित्र दिन पर मंदिर में महाआरती का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने श्रद्धा के साथ माता के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित की। महाआरती के बाद, पूरे विधि-विधान से होली की पूजा की गई और फिर होलिका दहन उत्सव मनाया गया। इस उत्सव में गुजरात के अलावा, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में भक्तों ने चामुंडा माता के दर्शन किए और इस परंपरागत उत्सव का हिस्सा बने।