यदि हमारा तन व मन दोनों स्वस्थ हों, तभी हम सभी सुख-सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं। तन और मन में कोई विकार न हो।
– तन और मन स्वस्थ रखने के लिए आहार की तो मुख्य भूमिका है ही, साथ ही रहन-सहन का भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। आचार-विचार भी शुद्ध तथा उच्च होना चाहिए।
– पूरी तरह निरोग तथा स्वस्थ रहने के लिए हमें प्रात: सूर्य उदय होने से बहुत पहले उठ जाना चाहिए।
– चाय की चुस्की लेने की आदत छोडऩी चाहिए।
– नींबू-नमक मिला पानी पी लें। नमक की जगह शहद भी मिलाकर पी सकते हैं। मोटे पेट वाले गुनगुने पानी में शहद तथा नींबू मिलाकर पी लिया करें तो अच्छा रहेगा।
– स्नान करने से पूर्व शरीर पर थोड़ी मालिश करने की आदत हो।
– स्नान के बाद तैयार होकर कुछ पूजा-अर्चना भी जरूर करें।
– अल्पाहार में आप अपनी सेहत, आयु तथा कार्य का ध्यान रखकर दूध, थोड़े मेवे, एक-दो ब्रैड पीस आदि ले सकते हैं।
– कुछ लोग काम पर जाने से पूर्व, प्रात: ही भोजन कर लेते हैं। ऐसे में, भोजन के साथ छाछ मिल सके तो बहुत अच्छा।
– रात्रि के भोजन के साथ या बाद में दूध लेना भी उत्तम।
– दिन के भोजन के बाद थोड़ा विश्राम करना या 10-15 मिनट सोना अच्छा रहता है।
– रात के खाने के बाद सौ कदम टहलने की आदत बनाएं।
– तले पदार्थों से बचें। अधिक मिर्च-मसालों वाले भोजन को त्याग दें। ये सदा हानि करते हैं।
– मीठे, पके फल लेना भी जरूरी होता है। मौसमी फल सस्ते भी होते हैं तथा अधिक उपयोगी भी।
– अधिक नमक या अधिक मीठा नहीं खाया करें।
– प्राय: तथा सायं, दो समय की सैर ही अपने आप में एक व्यायाम होता है। इसे नियमित अपनाएं।
– रात में सोने से पूर्व हाथ-पांव धोना, ब्रश करना, पांव के तलवों की तेल मालिश करना, शहद मिला दूध पीकर ईश्वर को स्मरण करते हुए सोना, अच्छी आदतें हैं। हर प्रकार से नियमित तथा संयमित रहने का अभ्यास करें।
सुदर्शन भाटिया – विनायक फीचर्स