नई दिल्ली-उत्तर प्रदेश में भी इंडिया गठबंधन को एक बड़ा झटका लग सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावशाली माने जाने वाले राष्ट्रीय लोकदल के भी इंडिया गठबंधन से अलग होने की खबरें गर्म है। सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी एनडीए में शामिल हो सकते हैं। रालोद 4 सीट पर चुनाव लड़ेगा वहीं भीम पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर के भी साथ ही एनडीए में जाने की चर्चाएं तेज़ है, कोई भी नेता अभी खुलकर इस पर नहीं बोल रहे है लेकिन मंगलवार को यह चर्चाएं मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। रालोद के एक प्रवक्ता इसे बीजेपी की रालोद को लेकर भ्रम फ़ैलाने की बात ज़रूर कह रहे है।
उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में अभी तक कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल शामिल है लेकिन सबसे बड़ा दल होने के नाते समाजवादी पार्टी प्रभावी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दो सप्ताह पूर्व ही सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी कि राष्ट्रीय लोकदल को 7 सीट दे दी गई है,साथ ही सपा ने अचानक 16 सीटों पर अपने प्रत्याशी भी घोषित कर दिए थे जिनमे कुछ पर कांग्रेस के बड़े नेता खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हुए थे जिसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि इंडिया गठबंधन में कुछ ना कुछ खटपट चल रही है।
मंगलवार को राजनीतिक हलकों में यह चर्चा बहुत तेजी से चल रही है कि राष्ट्रीय लोकदल इंडिया गठबंधन को अलविदा कह सकता है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय लोक दल को चार लोकसभा सीटों पर टिकट देकर एनडीए अपने गठबंधन में शामिल कर सकता है,जो सीट रालोद को दिए जाने की चर्चाएं हैं, उनमें बागपत, मथुरा,अमरोहा और कैराना सीट शामिल है। पश्चिम उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण मुजफ्फरनगर सीट भारतीय जनता पार्टी की सीटिंग सीट है और बीजेपी इस सीट को अपने पास रखना चाहती है,वहीं राष्ट्रीय लोक दल मुजफ्फरनगर या बिजनौर में से भी एक और सीट लेना चाहता है।
चर्चाओं के मुताबिक नगीना की सीट भी राष्ट्रीय लोकदल भीम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के लिए लेना चाहता है। रालोद चंद्रशेखर की पार्टी को भी अपने साथ रखते हुए एनडीए में शामिल होना चाहता है। कहा जा रहा है कि एनडीए में जयंत चौधरी के शामिल होने के बाद रालोद को राज्यसभा की एक सीट और दी जा सकती है, साथ ही उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में भी राष्ट्रीय लोक दल को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है वहीं केंद्र में खुद जयंत चौधरी अगली सरकार में मंत्री बनेंगे।
बीजेपी और राष्ट्रीय लोक दल के नेता ऐसी राजनीतिक गतिविधि पर फिलहाल कोई साफ़ प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं ,लेकिन मंगलवार को यह चर्चा बहुत गर्म रही। पार्टी प्रवक्ता रोहित जाखड़ हालांकि इसे भाजपा का दुष्प्रचार बताते हैं। जाखड़ कहते है कि एनडीए राष्ट्रीय लोकदल के बुनियादी मुद्दों पर ऐसी कोई घोषणा नहीं कर रहा है जिसके चलते रालोद एनडीए में शामिल हो,ऐसे में मीडिया में इस तरह की जो खबरें चल रही है वे सभी बेबुनियाद हैं।
उनका कहना है कि ऐसी ही खबरें 2019 के लोकसभा चुनाव में और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी मीडिया पर चली थी लेकिन रालोद इंडिया में शामिल था और शामिल रहेगा। उनका कहना है कि गन्ना भुगतान का 14 दिन का समय हो या एमएसपी का मुद्दा हो,पूर्व प्रधानमंत्री और किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने की मांग हो या लखीमपुर घटना के दोषी मंत्री की बर्खास्तगी और जाट आरक्षण,पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट की बेंच जैसे मुद्दे हो, रालोद के इन बुनियादी मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी का रुख सकारात्मक नहीं है जिसके चलते रालोद एनडीए में शामिल होने नहीं जा रहा है।
उनका कहना है कि महिला पहलवानों पर लाठी चार्ज और किसान आंदोलन के स्थगन के समय किए गए वादों की अब तक पूर्ति न होना भी रालोद समर्थक नहीं भूले हैं और न हीं जयंत चौधरी पर हाथरस में पड़ी लाठियां रालोद समर्थक भुला पा रहे हैं, ऐसे में इस तरह की खबरें केवल रालोद को लेकर भ्रम फ़ैलाने का भाजपा का सुनियोजित षड्यंत्र मात्र है।
दूसरी तरफ पार्टी के ही कुछ अन्य प्रमुख नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर स्वीकार किया है कि खबर में कुछ सच्चाई है। उनका कहना है कि समाजवादी पार्टी ने 7 सीट रालोद को देने की घोषणा तो की थी ,जिनमें कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बागपत,मथुरा,अमरोहा और मेरठ की सीट भी शामिल है लेकिन कैराना से समाजवादी पार्टी रालोद के सिंबल पर अपनी प्रत्याशी इकरा हसन को लड़ाना चाहती थी जिसे रालोद स्वीकार भी कर रहा था लेकिन मुजफ्फरनगर की सीट पर भी रालोद के सिंबल पर सपा अपने राष्ट्रीय महामंत्री हरेंद्र मलिक को चुनाव लड़ाने की जिद किए हुए हैं जिसे पार्टी स्वीकार नहीं कर रही।
साथ ही बिजनौर की सीट पर भी समाजवादी पार्टी अपना ही प्रत्याशी रुचिवीरा उतारना चाहती है, ऐसे में 7 सीट देकर तीन पर अपने प्रत्याशी उतारने से रालोद के लिए स्थिति सहज नहीं है जिसके चलते रालोद में नाराजगी है और पिछले 12 दिन से राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी नाराज है और वह पार्टी कार्यालय भी नहीं आए हैं और न हीं वह सपा आला कमान के संपर्क में है ऐसे में एनडीए में जाने की उनकी सम्भावना की चर्चा को निराधार नहीं माना जा सकता है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भी इसे गोदी मीडिया की अफवाह बताते हुए लिखा है कि जयंत कोई कोई चवन्नी या नीतीश कुमार नहीं है जो पलट जाए।
बहरहाल रालोद इंडिया में रहेगा या एनडीए में शामिल होगा, यह स्थिति तो अगले कुछ दिनों में साफ होगी लेकिन मंगलवार को यह चर्चा बहुत गर्म रही, जिसने पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति का पारा बहुत बढ़ा दिया है।