गाजियाबाद। पत्नी की हत्या के आरोप में दोषी पति को आजीवन कारावास की सजा कोर्ट ने सुनाई है। वहीं कोर्ट ने सबूत के आभाव में मृतका के ससुर, जेठ और देवर को बरी कर दिया है।
ममला सात साल पुराना है। सात साल पहले गला दबाकर पत्नी की हत्या करने के दोषी पति मुकेश को जनपद न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार ने दोषी पति पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि अर्थदंड से मिली धनराशि में से आधी मृतका के पिता को दी जाए। अदालत ने दहेज हत्या के आरोप से पति को बरी कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाकर हत्या की पुष्टि होने के आधार पर सजा सुनाई। घटना के बाद से ही मुकेश जेल में बंद है।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजेशचंद्र शर्मा ने बताया कि विनोद कुमार ने 19 दिसंबर 2017 को थाना लोनी बार्डर में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विनोद ने बताया था कि वर्ष 2014 में उनकी बहन आरती की शादी बेहटा हाजीपुर के राजनगर निवासी वेदप्रकाश के बेटे मुकेश कुमार के साथ हुई थी। शादी के एक वर्ष तक सब कुछ सामान्य था। उसके बाद बहन आरती आए दिन घर पर आकर बताती थी कि उसका पति मुकेश कुमार, ससुर वेदप्रकाश, जेठ राजू व देवर सोनू दहेज में एक लाख रुपए और बाइक की मांग करते थे। मांग पूरी नहीं होने पर बहन की पिटाई करते थे।
कई बार बहन की ससुराल में जाकर समझाया था, इसके बावजूद किसी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। 19 दिसंबर को मेरे भाई सुनील कुमार के मोबाइल फोन पर जीजा मुकेश ने बताया कि तुम्हारी बहन आरती की तबीयत खराब है घर आ जाओ। हम लोग बहन की ससुराल में पहुंचे। वहां पर बहन आरती (24) दीवान बेड पर रजाई में लेटी हुई थी। बहन की रजाई उठाकर देखा तो वह बोली नहीं, देखने पर पता चला कि बेहोश है। पडोस में रहने वाली डाक्टर को बुलवाया गया तो उसने बताया कि आरती की मौत हो चुकी है। इस मामले में अभियोजन पक्ष ने कुल 14 गवाह पेश किए थे, जबकि बचाव पक्ष ने दो गवाह पेश किए थे। पुलिस ने जांच के बाद 13 मार्च 2018 को आरोप पत्र पेश किया था, अदालत ने 14 जून 2018 को आरोप तय कर केस की सुनवाई शुरू की थी। तीस जुलाई से गवाही शुरू हुई थी।