नयी दिल्ली 30 जुलाई (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भावी पीढ़ी को नशे के चुंगल से बचाने का आह्वान करते हुए रविवार को कहा कि इसके लिए मिलकर और सभी स्तरों पर प्रयास करने होंगे।
मोदी ने आकाशवाणी पर अपनी मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 103 वें संस्करण में राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि देश में वर्ष 2020 से नशा मुक्ति अभियान चल रहा है। इसमें युवा बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं और इसे सफलता मिल रही है। उन्होंने जम्मू कश्मीर, पंजाब, चंडीगढ़ और मध्य प्रदेश में नशा मुक्ति अभियानों और उनकी सफलताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके लिए सभी को एक साथ जोड़ना होगा।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में म्यूजिकल नाइट्स, ऊंची पहाड़ियों पर बाइक राइड्स, चंडीगढ़ में स्थानीय क्लब और पंजाब में खेल समूह नशा मुक्ति अभियान का परिणाम है। इनसे युवाओं को नशे के चुंगल से बचाने में मदद मिल रही है। ये गतिविधियां वास्तव में नशे के खिलाफ सशक्त अभियान है।
मोदी ने कहा कि नशे के खिलाफ अभियान में युवाओं की बढ़ती भागीदारी बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है। ये प्रयास, भारत में नशे के खिलाफ अभियान को बहुत ताकत देते हैं। हमें देश की भावी पीढ़ियों को बचाना है, तो उन्हें, मादक द्रव्य से दूर रखना ही होगा। इसी सोच के साथ, 15 अगस्त 2020 को ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ की शुरुआत की गई थी। इस अभियान से 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को जोड़ा गया है। दो हफ्ते पहले ही भारत ने नशीले पदार्थों के खिलाफ बहुत बड़ी कारवाई की है। मादक द्रव्यों की करीब डेढ़ लाख किलो की खेप को जब्त करने के बाद उसे नष्ट कर दिया गया है। भारत ने 10 लाख किलो नशीले पदार्थों को नष्ट करने का अनोखा रिकॉर्ड भी बनाया है। इन मादक पदार्थों की कीमत 12,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी।
उन्होंने कहा, “ मैं, उन सभी की सराहना करना चाहूँगा, जो, नशा मुक्ति के इस नेक अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं। नशे की लत, न सिर्फ परिवार, बल्कि, पूरे समाज के लिए बड़ी परेशानी बन जाती है। ऐसे में यह खतरा हमेशा के लिए ख़त्म हो, इसके लिए जरुरी है कि हम सब एकजुट होकर इस दिशा में आगे बढ़ें।”
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में बिचारपुर गांव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह गांव नशीले पदार्थों के कारण बदनाम था। लेकिन अब फुटबॉल प्रेम के कारण पूरी दुनिया में जाना जाता है। उन्होंने फुटबॉल कोच रईस एहमद की सराहना करते हुए कहा कि इस गांव से राष्ट्रीय स्तर पर 40 फुटबॉल खिलाड़ी निकले हैं। इससे प्रेरणा लेकर आस-पास के गांव में 1200 से अधिक फुटबॉल क्लब बन चुके हैं।