मुजफ्फरनगर न्यायालय ने 2013 के मोंटी मामले में चारों अभियुक्तों को बरी किया
मुजफ्फरनगर। न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर 3, मुजफ्फरनगर ने वर्ष 2013 के चर्चित सरकार बनाम मोंटी आदि मामले में चारों अभियुक्तों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर यह घटना सड़क दुर्घटना ही प्रतीत होती है।
मामला दिनांक 28 अक्टूबर 2013 का है, जब थाना भवन क्षेत्र में अर्पण पब्लिक स्कूल के सामने ग्राम हरड़ फतेहपुर निवासी प्रियांशु पुत्र अमरीश व उसका साथी दिलीप उर्फ कुरकल मोटरसाइकिल से दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। गंभीर रूप से घायल प्रियांशु को मेरठ के भाग्यश्री अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
घटना के कुछ दिनों बाद, 2 नवंबर 2013 को घायल के भाई ऋतुराज ने थाना भवन थाने में ग्राम के ही मोंटी व ऋषभ पुत्रगण जितेंद्र, विपुल पुत्र ब्रह्म सिंह तथा मिंटू पुत्र शीशपाल के खिलाफ हत्या के प्रयास की धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया था। आरोप था कि चारों ने प्रियांशु को घर से बुलाकर उस पर तलवार से हमला किया और उसे मृत समझकर सड़क पर छोड़ दिया।
पुलिस विवेचना में यह घटना सड़क दुर्घटना पाई गई, किंतु वादी पक्ष ने विवेचना रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी। इसके बाद मामला सत्र परीक्षण संख्या 1223/16 – सरकार बनाम मोंटी आदि के रूप में माननीय न्यायालय में विचाराधीन हुआ।
वादी की ओर से छह गवाह प्रस्तुत किए गए। बचाव पक्ष की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप कुमार त्यागी एवं सह-अधिवक्ताओं संजय त्यागी, टीटू सिंह व आबिद तेवड़ा द्वारा की गई। जिरह के दौरान उन्होंने प्रभावी ढंग से यह साबित किया कि घटना वास्तव में एक सड़क दुर्घटना थी।
न्यायाधीश कमलापति ने दोनों पक्षों की बहस एवं लिखित तर्क सुनने के पश्चात पत्रावली का गहन अध्ययन किया और अभियोजन के आरोपों को असिद्ध पाते हुए चारों अभियुक्तगण – मोंटी, ऋषभ, विपुल व मिंटू – को बाइज़्ज़त बरी कर दिया।
गौरतलब है कि इस मुकदमे में अभियुक्तगण की जमानत तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश चंद्र सिंह द्वारा बिना जेल भेजे ही मंज़ूर की गई थी।
लगभग 12 वर्षों तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद चारों अभियुक्तों ने न्यायालय के निर्णय को सच्चाई की जीत बताया। उन्होंने कहा कि “कानून में देर हो सकती है, पर अंधेर नहीं।”
साथ ही, उन्होंने अपने अधिवक्ता श्री संदीप त्यागी का विशेष आभार व्यक्त किया, जिन्होंने न्यायालय में उनके पक्ष को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया।
