Thursday, September 19, 2024

राहुल, वाड्रा बने सिद्दारमैया के लिए जमीन हड़पने का रोल मॉडल: भाजपा

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (मूडा) घोटाले की शनिवार काे पोल खोली और कहा कि कांग्रेस नेताओं ने ‘नेशनल हेराल्ड’ मामला और ‘राबर्ट वाड्रा भूमि सौदा’ जमीनें हड़पने का माॅडल मान लिया है।

भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा एवं भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या नेआज पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में कर्नाटक के मुख्यमंत्री द्वारा किया गए मूडा घोटाले पर प्रकाश डाला।

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श्री पात्रा ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में राजनीतिक मजबूरी के कारण इस तरह के मामलों में कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जाती थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार में किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जाएगा।

श्री सूर्या ने कहा कि आरोपों की गंभीरता, शिकायत की प्रकृति और उच्चतम न्यायालय के निर्णयों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करने के बाद, राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने मामले में अभियोजन को मंजूरी देने का फैसला किया।

श्री पात्रा ने कहा कि संसद के बजट सत्र से पहले कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने संविधान की प्रति अपने हाथों में लेकर संविधान की शपथ ली थी और फिर संसद सत्र में ही हल्ला किया था। पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में इंडिया समूह की सरकारों द्वारा संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कुछ समय पहले ही खबर मिली है कि कर्नाटक के राज्यपाल ने श्री सिद्दारमैया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को आगे बढ़ाने की अनुमति दी है।

कुछ दिन पहले मूडा के जमीन आवंटन में घोटाला हुआ जिसको लेकर सभ्य समाज के बुद्धिजीवी टी जे अब्राहम, श्री प्रदीप और श्री स्नेहमई कृष्णा ने राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की याचिका की थी। कर्नाटक के राज्यपाल ने राज्य की सिद्दारमैया सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन कांग्रेस सरकार तथ्यपरक सफाई नहीं दे पाई। कांग्रेस सरकार की आधी अधूरी सफाई को दरकिनार करते हुए राज्यपाल ने कहा कि कि यह स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री के परिवार ने मूडा में घोटाला किया है इसलिए इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की अनुमति प्रदान की जाती है।

मूडा का नियम है कि अगर किसी ग्रामीण क्षेत्र में कोई जमीन अधिगृहित की गई है, तो उसके बदले 50:50 प्रतिशत के हिसाब से जमीन आवंटित की जायेगी। अर्थात ग्रामीण क्षेत्र की जमीन के बदले मुआवजे के तौर पर शहरी और विकसित क्षेत्र में 50 प्रतिशत जमीन दी जाएगी।

श्री पात्रा ने कहा, “वर्ष 2004 में श्री सिद्दारमैया की धर्मपत्नी पार्वती जी के भाई ने 3.16 एकड़ जमीन केशरी गांव में खरीदी थी। वर्ष 2005 में इसका मालिकाना हक पार्वती जी को दिया गया, लेकिन बाद में ये पता चल कि ये भूमि हस्तांतरित हो ही नहीं सकती थी, क्योंकि यह दलित की भूमि है। यह पूरा मामला उजागर इसलिए हुआ क्योंकि जिस व्यक्ति की यह जमीन थी उसने इस पर पुनः प्राप्त करने का दावा किया। उस समय जब मामले की जांच हुई तब पता चला कि मूडा द्वारा पार्वती जी को विकसित इलाकों में 14 प्लॉट दिए जा चुके हैं। इस पूरे घोटाले में यह स्पष्ट है कि जितना मुआवजा दिया जाना चाहिए था, उससे कई अधिक कीमत के 14 प्लॉट दिए गए हैं, इसका आंकलन वर्तमान में लगभग तीन से चार हजार करोड़ रुपये में किया गया है। यानी यह तीन से चार हजार करोड़ रुपये का घोटाला है।”

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कर्नाटक सरकार भी गांधी परिवार के पदचिह्नों पर चल रही है। ‘नेशनल हेराल्ड’ घोटाले में भी करीब पांच हजार करोड़ रुपये की जमीन का गबन हुआ था, जिसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी जमानत पर अभी भी बाहर हैं।

श्री पात्रा ने कहा कि पहले राज्यपाल इस तरह के घोटालों पर चुप हो जाते थे। संयुक्त प्रगतिशील बठबंधन(संप्रग) सरकार में राजनीतिक मजबूरी थी कि इस तरह के मामलों में अनुमति न दी जाए, लेकिन आज जिसने घोटाला किया है उसके खिलाफ मुकदमा चलता है। जो पैसा वाल्मीकि समाज के लिए था, उससे कर्नाटक में लेम्बोर्गिनी गाड़ी खरीदी गई। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में यह स्वीकार किया था कि भले ही पूरी राशि नहीं, लेकिन कुछ हिस्सा लिया गया था। कर्नाटक में यह एक बड़ा घोटाला हुआ है और पूरा देश इस बात की गवाही देगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन में भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को बख्शा नहीं जाता है।

उन्होंने कहा कि आज डॉक्टर काली पट्टी बांधकर बंगाल में हुई घटना पर विरोध जता रहे हैं और डॉक्टर समुदाय का हिस्सा होने के नाते उन्होंने भी काली पट्टी बांधी है।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बेंगलुरु गए थे, जहां लोग राज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। श्री खड़गे बेंगलुरु में घोटाले में शामिल लोगों को बचाने गए थे, क्या वह कोलकाता नहीं जाएंगे? प्रियंका वाड्रा ने कहा था, ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’, क्या प्रियंका और राहुल गांधी कोलकाता जाएंगे? या फिर वे भी घोटालेबाज श्री सिद्दारमैया को बचाने के लिए बेंगलुरु जाएंगे?”

श्री सूर्या ने कहा कि ने आज कर्नाटक के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मूडा घोटाले से संबंधित आरोपों में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी । कई महीनों से भाजपा और कर्नाटक में सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और नैतिकता की वकालत करने वाले कई सामाजिक कार्यकर्ता मूडा द्वारा श्रीमती पार्वती सिद्दारमैया को मुआवजे के तौर पर आवंटित जमीन में अनियमितताएं और गैरकानूनी कार्यों को लेकर चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में आरटीआई कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी। मुख्यमंत्री पर लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया था। कुछ हफ्तों बाद राज्य सरकार ने इन आरोपों की जांच के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक अन्य आयोग की नियुक्ति की। स्थिति इतनी गंभीर है कि कर्नाटक सरकार को एक नहीं, बल्कि दो जांच आयोग को गठित करने की आवश्यकता महसूस हुई।

श्री सूर्या ने बताया कि 1992 में मैसूरु के पास केसर गांव में तीन एकड़ सोलह गुंटा जमीन का एक लेआउट विकसित करने के लिए अधिग्रहण किया गया था। इस भूमि अधिग्रहण के लिए अंतिम अधिसूचना 1997 में जारी की गई थी, उस समय श्री सिद्दारमैया राज्य के उपमुख्यमंत्री थे। वर्ष 1998 में अंतिम अधिसूचना के एक साल बाद ही कर्नाटक सरकार ने उस भूमि को गैर अधिसूचित कर दिया। फिर 2003 में कांग्रेस सरकार के अधीन इस गैर अधिसूचित की गई भूमि को इसके मूल मालिक को वापस लौटा दिया गया। वर्ष 2004 में जब लेआउट पहले ही विकसित हो चुका था, श्री सिद्दारमैया के दामाद मल्लिकार्जुन ने उसी जमीन का एक टुकड़ा खरीद लिया। यह महत्वपूर्ण है कि पहली अधिसूचना, दूसरी अधिसूचना और भूमि के गैर अधिसूचित किये जाने के दौरान, श्री सिद्दारमैया कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री थे। उनके दामाद द्वारा जमीन खरीदने के बाद, वही तीन एकड़ और सोलह गुंटा जमीन गिफ्ट डीड के माध्यम से श्रीमती सिद्दारमैया को हस्तांतरित कर दी गई। इसके बाद उन्होंने मूडा से मुआवजे के लिए आवेदन किया। जहाँ अन्य लोगों को कम आकर्षक स्थानों में प्लॉट मिले, वहीं श्रीमती सिद्दारमैया को मैसूरु के सबसे उच्चस्तरीय और महंगे इलाके में 14 भूखण्ड आवंटित किए गए।

श्री सूर्या ने कहा कि जब मूडा ने श्रीमती सिद्दारमैया को उच्च वर्गीय इलाके में 14 भूखंड मुआवजे के रूप में आवंटित किया, तब श्री सिद्दारमैया के पुत्र, यथिंद्र और तत्कालीन मैसूरु के विधायक, मूडा परिषद के सदस्य भी थे और निर्णय लेने की बैठक में शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि यह घटनाओं का क्रम नेशनल हेराल्ड मामले और श्रीमती सोनिया गांधी के दमाद रॉबर्ट वाड्रा के भूमि सौदों से जुड़े आरोपों के तरीके से मिलता-जुलता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता जमीन से जुड़े हुए माने जाते हैं, जो जमीन से उनके मजबूत जुड़ाव को दर्शाता है। विभिन्न समाचार चैनलों ने बताया कि कांग्रेस नेता इस मामले को राज्यपाल बनाम सरकार के मुद्दे के रूप में पेश कर रहे हैं। जबकि यह दोनों के बीच संघर्ष का मामला नहीं है, बल्कि अनियमितता और भ्रष्टाचार से जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को कारण बताओ नोटिस जारी करके कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया है। कथित तौर पर एक विशेष कैबिनेट बैठक बुलाई गई थी, लेकिन कैबिनेट ने दिए गए कानूनी उदाहरणों का पालन नहीं किया, इसके बजाय राज्यपाल को अभियोजन को अस्वीकार करने की सलाह दी गई। आरोपों की गंभीरता, शिकायत की प्रकृति और संबंधित उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के अनुसार सावधानीपूर्वक समीक्षा करने के बाद, राज्यपाल ने मामले में अभियोजन को मंजूरी देने का फैसला किया।

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