नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव (प्रसार) जयराम रमेश ने कहा कि संसद भवन के सामने से शिवाजी, महात्मा गांधी,आम्बेडकर की मूर्तियों को उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है, यह अपमानजनक है। जयराम रमेश ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में की है।
आज (गुरुवार) को सोशल मीडिया एक्स पर संसद भवन के सामने की विभिन्न चार तस्वीरों को टैग करते हुए जयराम रमेश ने लिखा है कि संसद भवन के सामने छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा गांधी और बाबासाहब आम्बेडकर की मूर्तियों को उनके विशिष्ट स्थानों से हटा दिया गया है। यह बेहद अपमानजनक हरकत है।
इसी बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश के आरोपों को खारिज करते हुए लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि संसद भवन परिसर से किसी भी महापुरुष की प्रतिमा को हटाया नहीं गया है बल्कि महापुरुषों की प्रतिमाओं को संसद भवन परिसर में ही सम्मानजनक रूप से भव्य ‘प्रेरणा स्थल’ में स्थापित किया जा रहा है। इससे संसद परिसर में भ्रमण के लिए आने वाले आगंतुक इन महापुरुषों की प्रतिमाओं का सुगमता से दर्शन कर सकेंगे और उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा ले सकेंगे।
गुरुवार शाम को लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि संसद के नए भवन के निर्माण के पश्चात संसद परिसर में लैंडस्केपिंग एवं सौंदर्यीकरण की कार्य योजना बनाई गई है ताकि इस परिसर को संसद की उच्च गरिमा एवं मर्यादा के अनुरूप भव्य एवं आकर्षक बनाया जा सके। संसद परिसर में देश के महापुरुषों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं परिसर के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर स्थापित की गई थी। इन महानायकों ने अपने जीवन दर्शन से एवं अपने कृतित्व से देश के जनजातीय गौरव को स्थापित किया,शोषित-वंचित समाज के उत्थान का मार्ग प्रशस्त किया है। वे हमारे राष्ट्र की वर्तमान एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए शाश्वत प्रेरणा के स्रोत है।
सचिवालय के बयान में कहा गया है कि ‘प्रेरणा स्थल’ में हमारे महापुरुषों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन एवं उनके योगदान के संबंध में आगंतुकों को आधुनिक तकनीक के माध्यम से विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने की भी व्यवस्था की जा रही है ताकि उनके दर्शन हेतु आने वाले व्यक्ति उनके जीवन एवं विचारों से प्रेरणा प्राप्त कर सकें एवं इस श्रद्धा स्थल पर उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दे सकें।
उल्लेखनीय है कि संसद भवन परिसर लोक सभा अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार में आता है तथा परिसर के अंदर पूर्व में भी लोक सभा अध्यक्ष की अनुमति से प्रतिमाओं का स्थानांतरण किया गया है। यह स्पष्ट है कि संसद भवन परिसर से किसी भी महापुरुष की प्रतिमा को हटाया नहीं गया है बल्कि उन्हें संसद भवन परिसर के अंदर ही व्यवस्थित एवं सम्मानजनक रूप से स्थापित किया जा रहा है।