-भाषणा गुप्ता
भारतीय समाज में विवाह को एक पवित्रा परंपरा माना जाता है। इसे स्त्राी-पुरूष संबंधों के लिए प्राकृतिक
रूप से प्रदत्त अधिकार के रूप में लिया जाता है।
हमारा समाज मानता है कि विवाह के बाद ही कोई स्त्राी पूर्ण रूप से सुरक्षित हो पाती है और उसे मान
सम्मान की प्राप्ति होती है परंतु हमारे इसी समाज में कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने इस धारणा को
गलत साबित कर दिखाया है। आज हमारे समाज में कितनी ही महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने विवाह जैसी
परंपरा का निर्वाह नहीं किया, अब यह चाहे उन्होंने स्वेच्छा से किया हो या फिर मजबूरीवश।
सवाल यह उठता है कि क्या अविवाहित महिलाओं को वह मान सम्मान और सुरक्षा मिल पाती है जो
शादीशुदा महिलाओं को मिलती है?
यह सही है कि जहां अविवाहित जीवन में महिलाओं को अनेक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वहीं
शादी भी इंसान को अनेक सामाजिक व पारिवारिक झंझटों में फंसाती है। तो फिर अविवाहित जीवन को
अभिशाप क्यों माना जाए?
कुंवारापन अभिशाप नहीं है पर इसे हमारा समाज अभिशाप बना देता है। वैसे तो आजकल लोगों की सोच
बदली है परंतु आज भी हमारे समाज में बहुत से लोग ऐसे हैं जो अविवाहित महिलाओं को हेय दृष्टि से
देखते हैं। उनके बारे में तरह-तरह की बातें गढ़ते हैं। अफसोस तो तब होता है, जब पढ़े-लिखे व्यक्ति भी
ऐसा करते हैं।
कोई अविवाहित महिला यदि समाज में सम्मानपूर्वक जीना चाहती है तो हमारे समाज के तथाकथित पढ़े
लिखे लोग भी उससे यही सवाल पूछते नजर आएंगे ‘आप पहाड़ सा जीवन अकेले कैसे काटेंगी, आपके
माता-पिता के बाद आपका क्या होगा, ‘अपनी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे करती हैं‘ इत्यादि।
ऐसे लोग शायद उन शादीशुदा महिलाओं को नज़रअंदाज कर देते हैं जो पति, सास, ससुर के होते हुए भी
अकेली हैं। उन्हें अपना सहारा स्वयं ही बनना पड़ता है।
कहने का तात्पर्य यह नहीं कि सभी शादीशुदा महिलाएं दुखी होती हैं या फिर महिलाओं को शादी करनी ही
नहीं चाहिए बल्कि यहां अविवाहित महिलाओं को लेकर हमारा समाज जो सवाल उठाता है, उसके जवाब
में यही कहना काफी होगा कि महिलाओं की दिक्कतें दोनों तरफ हैं।
जहां तक अविवाहित महिलाओं की शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति का सवाल है तो उन्होंने स्वेच्छा से
यह राह चुनी है। उन्हें इसकी अधिक आवश्यकता महसूस नहीं होती। वे यह रास्ता तभी अपनाती हैं
क्योंकि वे कभी किसी पुरूष के प्रति आसक्त हुई ही नहीं और न ही उन्होंने इस बारे में कभी अधिक
सोचा।
हां, जब कंुवारापन मजबूरीवश होता है, ऐसे में हो सकता है, शारीरिक जरूरतों को पूरा करने की चाहत
मन में बनी रहती हो पर यह जरूरी तो नहीं कि ऐसी महिलाएं स्वयं पर नियंत्राण व संयम न रख पाएं।
चाहे कुछ भी हो, अविवाहित महिलाओं को लेकर समाज की सोच अभी विकसित नहीं हुई। शायद इसी
कारण अविवाहित महिलाओं के लिए जीवन किसी चुनौती से कम नहीं। कई महिलाएं इस डगर पर चल
तो पड़ती हैं परंतु कदम-कदम पर आने वाली मुश्किलों से घबराकर पछताती रहती हैं कि काश उन्होंने
शादी कर ली होती।
कहीं आप भी इस श्रेणी में तो नहीं। यदि हां तो अपनाइए निम्न सुझावों को –
अविवाहित जीवन न तो अभिशाप है, न ही कोई शर्मनाक बात परंतु इस राह पर चलने से पूर्व आपको
स्वयं को मजबूत बनाना होगा ताकि आप सम्मान की जिंदगी जी सकें।
यदि आपने यह निर्णय अपनी कुछ शादीशुदा सहेलियों के दुखी जीवन को देखकर लिया है तो आपका यह
निर्णय बिलकुल गलत है क्योंकि हर व्यक्ति के जीवन मूल्य अलग-अलग होते है। जरूरी नहीं कि जो
आपको सहेलियों के साथ हुआ, वह आपके साथ भी हो। यदि आप ऐसा सोचती हैं तो आपको चाहिए कि
आप अपने लिए उपयुक्त वर तलाश कर शादी कर लें क्योंकि हो सकता है जिस तरह आपकी सहेलियों
के दुखी जीवन ने आपको प्रभावित किया है, उसी तरह भविष्य मंे किसी सहेली का सुखी शादीशुदा
जीवन आपको शादी के प्रति आकर्षित कर दे, इसलिए कोई भी निर्णय सोच समझ कर ही लें।
यह फैसला करने से पूर्व यह भी सुनिश्चित कर लें कि आप भविष्य में अकेली रहेंगी या माता पिता, बहन
भाइयों के साथ। कहीं माता-पिता के बाद आपके बहन भाई आपको बोझ न समझने लगें। उचित यही
होगा कि आप पहले अपने पैरों पर खड़ी हांे ताकि आपको किसी पर आश्रित होकर न जीना पड़े। फिर
स्वयं को संतुलित करके आगे बढ़ें।
कुछ लड़कियां अविवाहित इसलिए रहना चाहती हैं क्योंकि वे शादी को एक ऐसा बंधन मानती हैं जिससे
स्त्राी पति, बच्चों व घर-परिवार आदि में ही उलझकर रह जाती है। उन्हें लगता है कि वे शादी के बाद
मौज-मस्ती नहीं कर पाएंगी। ऐसी लड़कियों के लिए यह समझ लेना बेहद आवश्यक है कि जीवन सिर्फ
मौज मस्ती का ही नाम नहीं है।
वैसे भी कुंवारी रहकर भी तो एक उम्र तक ही मौज मस्ती कर पाएंगी, अतः सिर्फ मौज मस्ती करने के
उद्देश्य से उनका अविवाहित रहने का निर्णय ठीक नहीं। आप कैरियर को लेकर अति महत्त्वाकांक्षी हैं तो
शादी के बाद भी करियर बनाया जा सकता है। हमारे देश की अधिकांश प्रतिष्ठित महिलाएं शादीशुदा हैं।
आपने अविवाहित रहने का निर्णय यदि स्वेच्छा से किया है या ऐसा आपके साथ मजबूरीवश हुआ है, तब
भी अपना सहारा स्वयं ही बनें क्योंकि यदि आप बात-बात पर दूसरों से मदद मांगेंगी तो लोग आपको
बार बार अविवाहित होने का ताना देेंगे जिससे आपका जीना दूभर हो जाएगा, इसलिए अपने लिए खुद
ही ऐसी मुश्किलें पैदा करने से बचें।
यदि अविवाहित जीवन आपकी मजबूरी है तो स्वयं को हीन न समझें व न ही दूसरों के समक्ष सदैव शादी
न हो पाने का रोना रोएं क्योंकि इससे आप दूसरों के सम्मान की नहीं बल्कि उनकी दया की पात्रा बन
जाएंगी।
अविवाहित जीवन चुनौतीपूर्ण अवश्य है परंतु यह शर्मनाक नहीं है, अतः सम्मानपूर्वक जिएं। एक संतुलित व
संयमित जीवन जिएंगी तो कोई आपकी तरफ उंगली भी नहीं उठा पाएगा। (उर्वशी)