Monday, December 23, 2024

सिसोदिया ने हाईकोर्ट कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली थी राहत

नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद दिल्ली की आबकारी नीति में अनियमितता के आरोप में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जमानत के लिए शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

शीर्ष अदालत ने 28 फरवरी को उनकी रिट याचिका खारिज करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष गुहार लगाने को कहा था। उच्चतम न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद श्री सिसोदिया ने बाद में उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मंगलवार को संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद श्री सिसोदिया की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा था, “यह एक बहुत ही गलत मिसाल कायम करेगा। सिर्फ इसलिए कि दिल्ली में एक घटना हुई थी, हमसे संपर्क किया गया था।”

पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि याचिकाकर्ता दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष प्रभावी उपाय का लाभ उठा सकता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने पीठ के समक्ष दलील देते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत ने पहले पत्रकार अर्नब गोस्वामी और विनोद दुआ के मामले में हस्तक्षेप किया था।

इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा था कि अर्नब गोस्वामी का मामला बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के बाद शीर्ष अदालत में आया था। विनोद दुआ के मामले में तथ्य और परिस्थितियां बिल्कुल अलग थी। कोविड-19 दौरान विनोद दुआ मामले के अदालत ने हस्तक्षेप किया था।

दिल्ली की एक विशेष अदालत ने सोमवार को श्री सिसोदिया को केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की हिरासत में चार मार्च तक के लिए भेज दिया था। श्री सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी और सीबीआई अदालत के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।

दिल्ली की 2021-2022 की आबकारी नीति की कथित अनियमितता के आरोपों से घिरे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अपनी गिरफ्तारी और पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेजने के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनको उप मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए रविवार को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मंगलवार की सुबह ‘विशेष उल्लेख’ के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने श्री सिसोदिया की याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी। पीठ ने अपराह्न लगभग चार बजे सुनवाई की थी।

श्री सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने सोमवार को पांच दिनों के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था।

दिल्ली की राउस एवेन्यू स्थित एम के नागपाल की विशेष अदालत ने संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 14 अन्य आरोपियों में शामिल सिसोदिया को केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) की हिरासत में भेजने का आदेश पारित किया था।

विशेष अदालत ने आम आदमी पार्टी के नेता को हिरासत में देने की सीबीआई की गुहार स्वीकार करते हुए 04 मार्च अपराह्न दो बजे आरोपी को पेश करने का आदेश दिया था।

विशेष अदालत के समक्ष सीबीआई का पक्ष रख रहे स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर पंकज गुप्ता ने विभिन्न दलीलें देते हुए पूछताछ की आवश्यकता बताई थी और अदालत से श्री सिसोदिया की पांच दिनों की हिरासत की गुहार लगाई थी।

श्री सिसोदिया का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ताओं- डी. कृष्णन, मोहित माथुर और सिद्धार्थ अग्रवाल ने सीबीआई हिरासत को गैरजरूरी और कानून का दुरुपयोग बताते हुए मुख्यमंत्री को हिरासत में भेजने की मांग का पुरजोर विरोध किया।

सीबीआई ने दिल्ली की आबकारी नीति (विवाद के बाद दिल्ली सरकार ने इस नीति को रद्द कर दिया था) में कथित अनियमितता के मामले में श्री सिसोदिया को रविवार को आठ घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने हालांकि आरोप लगाया था कि श्री सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने 17 अक्टूबर 2022 आम आदमी पार्टी के नेता श्री सिसोदिया पूछताछ की थी। सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को मनीष सिसोदिया और अन्य 14 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

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