नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि कौशल दीक्षांत समारोह नए भारत की प्राथमिकताओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कौशल विकास का यह उत्सव (कौशल दीक्षांत समारोह) अपने आप में अद्वितीय है और देश भर के कौशल विकास संस्थानों के संयुक्त दीक्षांत समारोह का आज का आयोजन एक बहुत ही सराहनीय पहल है।
प्रधानमंत्री वीडियो संदेश के माध्यम से एआईसीटीई ऑडिटोरियम, वसंत कुंज, नई दिल्ली में आयोजित द्वितीय ‘कौशल दीक्षांत समारोह’ को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री ने किसी भी देश की ताकत जैसे उसके प्राकृतिक या खनिज संसाधनों, या उसकी लंबी तटरेखाओं का उपयोग करने में युवाओं की शक्ति के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि देश मजबूत युवा शक्ति के साथ अधिक विकसित होता है, जिससे देश के संसाधनों के साथ न्याय होता है।
प्रधानमंत्री ने भारत द्वारा माल निर्यात, मोबाइल निर्यात, इलेक्ट्रॉनिक निर्यात, सेवा निर्यात, रक्षा निर्यात और विनिर्माण में नए रिकॉर्ड बनाने और साथ ही अंतरिक्ष, स्टार्टअप जैसे ड्रोन, एनीमेशन, इलेक्ट्रिक वाहन, अर्धचालक आदि कई क्षेत्रों में युवाओं के लिए बड़ी संख्या में नए अवसर पैदा करने का उल्लेख किया। उन्होंने इसके लिए भारत की युवा आबादी को श्रेय देते हुए कहा, “आज पूरी दुनिया इस बात पर विश्वास कर रही है कि यह सदी भारत की सदी होगी।”
मोदी ने पिछली सरकारों में कौशल विकास के प्रति उपेक्षा की ओर इशारा करते हुए कहा, “हमारी सरकार ने कौशल के महत्व को समझा और इसके लिए एक अलग मंत्रालय बनाया और एक अलग बजट आवंटित किया।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक करीब 1.5 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार हो रहा है, युवाओं के लिए नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार सृजन नई ऊंचाई पर पहुंच गया है और एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार भारत में बेरोजगारी दर 6 साल में सबसे निचले स्तर पर है। उन्होंने भारत के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में अभूतपूर्व वृद्धि का भी जिक्र किया और महिला सशक्तिकरण के संबंध में पिछले वर्षों में भारत में शुरू की गई योजनाओं और अभियानों के प्रभाव को श्रेय दिया।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी हालिया आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत आने वाले वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। उन्होंने भारत को दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में ले जाने के अपने संकल्प को भी दोहराया और कहा कि आईएमएफ को भी भरोसा है कि अगले 3-4 वर्षों में भारत दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने रेखांकित किया कि इससे देश में रोजगार और स्वरोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।