तनाव मुक्त रहने वाले व्यक्ति की स्मरण शक्ति भी तीव्र बनी रहती है किंतु किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक तनाव याद रखने की क्षमता अर्थात स्मरण शक्ति का शत्रु बन जाता है।
सभी प्रकार का तनाव स्मरण शक्ति का शत्रु बन उसे कमजोर एवं कार्य में अक्षम बना देता है। तनाव बढऩे पर व्यक्ति चिड़चिड़ा एवं क्रोधी बन जाता है।
यह पीडि़त को भुलक्कड़ बना देता है। अपने घर, मार्ग या कार्यस्थल पर मस्तिष्क ऐसे लक्षण प्रकट करने एवं इसकी चपेट में आने लगता है।
-सीतेश कुमार द्विवेदी