मऊ के अखिलेश कुमार सिंह को केंद्रीय गृह मंत्री दक्षता पदक 2025 और मणिपुर डीजीपी प्रशंसा पदक से सम्मानित
मऊ। उत्तर प्रदेश के मऊ के मधुबन तहसील के छोटे से गांव मुरारपुर निवासी और असम पुलिस में आईजी अखिलेश कुमार सिंह को राष्ट्रीय एकता दिवस पर देश के प्रख्यात अवार्ड केंद्रीय गृह मंत्री दक्षता पदक 2025 सहित दो प्रतिष्ठित पदकों से सम्मानित किया गया। उनके सम्मान से उनके गृह जनपद के सभी लोग काफी खुश हैं । इससे पहले भी अखिलेश कुमार सिंह को राष्ट्रपति द्वारा वीरता पुरस्कार दिया जा चुका है।
अखिलेश कुमार सिंह ने शिवसागर जिले के एक गांव में निर्दोष महिला को डायन बताकर लोगों द्वारा जिंदा जलाने के बाद कड़ी कार्रवाई करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार करवाना एवं गांव की सुरक्षा की व्यवस्था करना गहन विवेचना और चार्जसीट तथा सबूत और गवाहों के बयान के आधार पर न्यायालय द्वारा 23 अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाने में अहम योगदान देने के लिए गृह मंत्री दक्षता पदक 2025 के लिए चयनित किया गया ।
दूसरा पदक उन्हें मणिपुर में शांति बहाली के लिए दिया जा रहा है। 2023 में मणिपुर में जाति हिंसा भड़कने के बाद अखिलेश कुमार सिंह को मणिपुर में फंसे असम के लोगों को लाने के लिए इंफाल भेजा गया था जिसमें इन्होंने अहम भूमिका निभाते हुए सैकड़ो लोगों को सकुशल वापसी करवाई। इसके बाद मणिपुर पुलिस के लगभग 2000 जवानों की असम में प्रशिक्षण की व्यवस्था अपने देखरेख में करवाई तथा मणिपुर में शांति बहाली में मदद की। जिसके लिए इन्हें मणिपुर डीजीपी प्रशंसा पदक 2025 के लिए चयनित किया गया है। किसी एक राज्य के अधिकारी को दूसरे राज्य के डीजीपी द्वारा मेडल दिया जाना अति दुर्लभ है लेकिन श्री सिंह ने अपने जज्बे और हौसले के बल पर अपने ही नहीं बल्कि दूसरे राज्य में भी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए यह उपलब्धि हासिल की है।
कौन हैं अखिलेश कुमार सिंह
जिले के मधुबन विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव मुरारपुर में कृष्ण मुरारी सिंह के घर 1979 में जन्मे अखिलेश कुमार सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई। माता सुनैना सिंह गृहिणी हैं। पिताजी के स्वर्गवास के बाद उनके साथ असम में ही रहती हैं। प्रधानाध्यापक पिता के देखरेख में शुरू से ही अनुशासित रहे अखिलेश कुमार सिंह ने उच्च शिक्षा के लिए जिले के प्रतिष्ठित डीएवी इंटर कॉलेज में दाखिला लिया। 1995 में डीएवी से इंटरमीडिएट पास कर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से BA और MA की डिग्री हासिल की। इसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए।
कड़ी मेहनत के दम पर बने आईपीएस
कड़ी मेहनत के दम पर 2003 में प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा पास करते हुए आईपीएस बन गए। इनको असम कैडर मिला। जिस समय उन्हें असम कैडर मिला उस समय पूरे असम में आतंकवाद और सांप्रदायिक दंगे चरम पर थे। अखिलेश सिंह ने अपने कड़े फैसलों और जनता के बीच भरोसा कायम करते हुए आतंकवाद और सांप्रदायिक दंगों को रोकने में काफी हद तक सफलता हासिल की।
साल 2014 में उल्फा के विरुद्ध अभियानों के लिए इनको राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित किया गया। इसके बाद यह असम के अलग-अलग जिलों में पुलिस अधीक्षक तथा रेंज में डीआईजी रहे। शारदा कांड में ममता बनर्जी के चार मंत्रियों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आए।
जब सुर्खियों में आए अखिलेश सिंह
अखिलेश कुमार सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर 2019 से 2022 में कोलकाता में सीबीआई के डीआईजी के पोस्ट पर रहे। साल 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार के चार मंत्रियों को नारदा कांड में उनके घर से गिरफ्तार करने के बाद अखिलेश कुमार सिंह राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आ गए। सिंह के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 6 घंटे तक अनशन पर बैठी रहीं और उनके ऑफिस का घेराव किया। बनर्जी ने अपने मंत्रियों को रिहा करने की मांग की। उनके ऑफिस पर पथराव भी किया गया लेकिन इन्होंने मंत्रियों को नहीं छोड़ा और जेल भेज दिया था
कोयला तस्करी पर भी लगाया था लगाम
सीबीआई कोलकाता में रहते हुए ही अखिलेश सिंह ने आसनसोल के संगठित कोयला चोरी के खिलाफ कठोर कदम उठाया। उन्होंने कोयला माफिया को जेल भेज दिया था। इसके बाद उन्हें 2021 में राष्ट्रपति के सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
शिक्षकों को गर्व, मित्रों में खुशी का माहौल
डीएवी इंटर कॉलेज के प्रवक्ता ऋषिकेश पांडे ने बताया कि अखिलेश कुमार सिंह शुरू से ही अनुशासित और मेहनती छात्र रहे। उन्होंने कहा कि उनके मेहनत और अनुशासन के बल पर ही आज वह इस मुकाम पर पहुंचे हैं। सभी शिक्षकों को उनके ऊपर गर्व है। अखिलेश कुमार सिंह की इस उपलब्धि पर उनके मित्रों में भी खुशी और उत्साह की लहर है। उनके मित्र अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि अखिलेश कुमार सिंह काफी सरल स्वभाव के और मृदु भाषी हैं। उनकी कड़ी मेहनत और जनता के बीच उनका विश्वास उनको आज इस मुकाम पर पहुंचाया है।
