शाहजहांपुर। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में बुधवार को एक मामूली सड़क हादसा उस समय सुर्खियों में बदल गया, जब एक ई-रिक्शा और बीजेपी विधायक बाबूराम पासवान की स्कॉर्पियो में हल्की टक्कर हो गई। शीशा टूटा तो बात सिर्फ़ गाड़ी की नहीं, बल्कि सत्ता के अहंकार और जनता की सहनशीलता की भी हो गई।
विधायक की इस सख्ती के बीच कुछ राहगीरों ने बीच-बचाव की कोशिश की और कहा कि “विधायक जी, छोड़ दीजिए, गलती हो जाती है।” मगर विधायक का जवाब था — “तुमसे क्या मतलब है!”
यह सुनकर आसपास के लोग भड़क गए। सड़क पर भीड़ जमा हो गई और लोगों ने मौके पर ही चंदा इकट्ठा कर ₹4000 देने का फैसला कर लिया, ताकि “विधायक टैक्स” चुका कर गरीब को राहत मिल सके।
लोगों ने तंज कसा — “हर स्कॉर्पियो में अब इगो मीटर लगना चाहिए — भिड़े तो चालान, बोला तो हंगामा!” सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें विधायक की गाड़ी और ई-रिक्शा आमने-सामने दिख रहे हैं।
मामला बढ़ता देख विधायक का ड्राइवर गाड़ी लेकर वहां से फरार हो गया। मौके पर मौजूद लोगों ने तंज कसते हुए कहा — “कम से कम गाड़ी तो समझदार निकली!”
वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। यूजर्स सवाल उठा रहे हैं कि “विधायक जनता के सेवक हैं या सरदार?”
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि सत्ता का अहंकार कब तक जनता की इंसानियत पर भारी पड़ेगा। सड़क पर टक्कर गाड़ियों की थी, लेकिन चोट लोकतंत्र की साख को लगी — क्योंकि अब टक्कर सिर्फ़ शीशों की नहीं, बल्कि ‘अहंकार और इंसानियत’ की हो रही है।
