मेरठ में वक्फ संपत्तियों के आधुनिकीकरण पर गोष्ठी, 2025 अधिनियम पर चर्चा
मेरठ। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और वक्फ प्रशासन का आधुनिकीकरण को लेकर एक गोष्ठी का आयोजन कोतवाली बड़ी मस्जिद में किया गया। जिसमें वक्फ और उसकी संपत्तियों के बारे में वक्ताओं ने जानकारी दी। हाजी रईस ने इस दौरान कहा कि वक्फ संस्था धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति का एक इस्लामी दान है। इस संस्था ने ऐतिहासिक रूप से सामाजिक-आर्थिक कल्याण, सामुदायिक विकास और असमानता को दूर करने के एक स्तंभ के रूप में कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि वास्तविक आय सालाना 163 करोड़ रुपये से कम है, जो उनकी अनुमानित क्षमता का 1% से भी कम है। यह बेहद खराब प्रदर्शन वक्फबोर्डों में प्रशासनिक विकृतियों, भ्रष्टाचार, क्षय, दस्तावेज़ीकरण में अनियमितताओं और जवाबदेही उपायों की कमी के कारण है। डॉक्टर नईम ने इस दौरान कहा कि आज अतिक्रमण, पुरानी प्रबंधन पद्धतियों और कानूनी अस्पष्टताओं के मुद्दे ने वक्फ प्रशासन को त्रस्त कर दिया है। इन कमियों को समझते हुए, भारत सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025, जिसे उम्मीद अधिनियम (एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास) के रूप में भी जाना जाता है, को वक्फ ढांचे के आधुनिकीकरण और वक्फ परिसंपत्तियों की समावेशी क्षमता को उजागर करने के उद्देश्य से अधिनियमित किया।
उन्होंने बताया कि नया कानून पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता के उद्देश्य से कई सुधारों की शुरुआत करता है। सबसे परिवर्तनकारी प्रावधानों में से एक केंद्रीय प्रशासित पोर्टल पर सभी वक्फ संपत्तियों का अनिवार्य रिकॉर्ड रखना और डिजिटल पंजीकरण है। इस कदम से दोहराव, धोखाधड़ी और कुप्रबंधन पर अंकुश लगने की उम्मीद है, साथ ही संपत्ति के रिकॉर्ड पर वास्तविक समय में नज़र रखने और सार्वजनिक पहुँच को सक्षम करने की भी उम्मीद है। ऑडिट को जोड़ना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो सालाना 1 लाख रुपये से अधिक कमाने वाले संस्थानों के लिए अनिवार्य ऑडिट के लिए बाध्य करता है।
वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश को कम करता है। "उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ" की अवधारणा को समाप्त करना, जो पहले दीर्घकालिक धार्मिक उपयोग के आधार पर संपत्तियों को वक्फ घोषित करने की अनुमति देता था। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी वक्ताओं ने माना कि नया कानून वक्फ प्रशासन की दक्षता की दिशा में एक ठोस कदम है। इस बदलाव का उद्देश्य विवादों को कम करना और स्वामित्व को स्पष्ट करना है, जिससे ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण संपत्तियों की मान्यता रद्द होने की चिंताएँ दूर होंगी। सुधार अधिनियम राजस्व अधिकारियों को दावों का निपटारा करने, निष्पक्षता और कानूनी स्पष्टता सुनिश्चित करने का अधिकार देता है।
