10 साल पुराने मां-बेटा हत्याकांड में तीन दोषियों को आजीवन कारावास: संपत्ति के लालच में दी थी दर्दनाक मौत
Moradabad News: दस वर्ष पूर्व हुए चर्चित मां-बेटा हत्याकांड में न्यायालय ने तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मंगलवार को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने दोषियों पर प्रत्येक 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया। अदालत ने माना कि यह हत्या संपत्ति विवाद से उपजी साजिश का परिणाम थी, जिसमें दोषियों ने पहचान मिटाने के लिए शवों पर तेजाब डालकर मथुरा के जंगल में फेंक दिया था।
गुमशुदगी से शुरू हुई थी जांच
पुलिस जांच में खुली साजिश की परतें
पुलिस ने जांच के दौरान प्रेम अवतार शर्मा, अजय शर्मा (गांव सौदासपुर, थाना डिलारी) और विक्रम उर्फ राजू यादव (गांव रामपुर बलभद्र, थाना भगतपुर) को हिरासत में लिया। पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि अजय शर्मा ने शकुंतला देवी से 18 लाख रुपये में मकान खरीदा था और 13 लाख का चेक देने के बाद उसे वापस ले लिया। बाकी रकम न देने की नीयत से उसने मां-बेटे की हत्या की साजिश रची और अपने किरायेदार विक्रम को इसमें शामिल किया।
दर्दनाक हत्या की कहानी
25 जून 2016 को विक्रम शकुंतला देवी और उनके बेटे कलश को बालाजी दरबार ले जाने के बहाने मुरादाबाद लेकर गया। वहां से तीनों आरोपी उन्हें कार से मथुरा के जंगल में ले गए। रास्ते में खाने में नशीला पदार्थ मिलाया गया और निर्दयता से दोनों की हत्या कर दी गई। पहचान मिटाने के लिए तेजाब डालकर शवों को जंगल में फेंक दिया गया। बाद में पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर शव बरामद किए।
दोषियों को मिली उम्रकैद
करीब 10 साल तक चली सुनवाई के बाद मंगलवार को न्यायालय ने तीनों आरोपियों को आजीवन कारावास और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस मामले की पैरवी अधिवक्ता रतन सिंह कंबोज ने की, जिन्होंने अदालत में सभी साक्ष्य और गवाहों के बयान मजबूती से प्रस्तुत किए।
