तिगरी गंगा मेले में आएंगे IITian बाबा अभय सिंह: युवाओं को देंगे AI से निपटने के मंत्र, मेंटल हेल्थ से करियर तक होगी खुलकर बातचीत
IITian Baba Abhay Singh in Tigri Fair Amroha: अमरोहा में ऐतिहासिक तिगरी गंगा मेले का शुभारंभ आज हवन-पूजन और गंगा आरती के साथ हुआ। इस बार मेले में कुछ खास होने वाला है, महाकुंभ 2025 के दौरान चर्चाओं में आए IITian बाबा अभय सिंह युवाओं से सीधे संवाद करेंगे। 2 नवंबर को आयोजित होने वाली यूथ कॉन्फ्रेंस में वे AI, स्किल डेवलपमेंट, हायर एजुकेशन और मेंटल हेल्थ जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण बातें साझा करेंगे। उनके शामिल होने की जानकारी खुद उन्होंने एक वायरल इंस्टाग्राम वीडियो के जरिए दी है।
2 नवंबर को युवाओं के लिए विशेष कॉन्फ्रेंस
क्या कहा IITian बाबा ने अपने वीडियो में
अपने वीडियो संदेश में बाबा अभय सिंह ने बताया कि तिगरी मेले में वे युवाओं से सीधा संवाद करेंगे। उन्होंने कहा- “दुनिया तेजी से बदल रही है। AI जैसी तकनीक इंसानों से ज्यादा स्मार्ट तरीके से काम करने लगी है। ऐसे में हमें समझना होगा कि भविष्य में करियर का स्वरूप कैसे बदलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि पृथ्वी के संसाधन सीमित हैं और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियां बढ़ रही हैं। इसलिए युवाओं को बदलावों को समझकर खुद को समय के अनुसार अपडेट करना जरूरी है। अभय सिंह ने युवाओं से अपील की कि वे 2 नवंबर को कॉन्फ्रेंस में जरूर आएं।
महाकुंभ से सुर्खियों में आए थे IIT बाबा
IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अभय सिंह कनाडा की एक विमान निर्माण कंपनी में कार्यरत थे। कुछ समय बाद उनका झुकाव आध्यात्मिकता की ओर बढ़ा और वे भारत लौट आए। महाकुंभ के दौरान उनके वैज्ञानिक ज्ञान और आध्यात्मिक विचारों का अनोखा मिश्रण चर्चा का केंद्र बन गया।
हरियाणा के झज्जर निवासी अभय सिंह के पिता कर्ण सिंह वकील हैं और झज्जर बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान रह चुके हैं। अभय का व्यक्तित्व युवाओं के बीच प्रेरणा का स्रोत बन गया है।
तिगरी गंगा मेले का प्राचीन इतिहास
तिगरी गंगा मेला धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत प्राचीन है। मान्यता है कि त्रेता युग में श्रवण कुमार अपने माता-पिता को लेकर तीर्थयात्रा निकले थे और गढ़मुक्तेश्वर के नक्का कुएं के पास कुछ दिन रुके थे। तब लोग उन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में जुटे और तभी से कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और दीपदान की परंपरा शुरू हुई।
महाभारत काल में पांडवों ने अपने मृत संबंधियों की आत्मा की शांति के लिए यहां गंगा में दीपदान किया था। समय के साथ यह मेला पश्चिमी यूपी का सबसे बड़ा गंगा मेला बन चुका है, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं।
