Sunday, November 24, 2024

रूस और अमेरिका के बीच बढ़ रही  टकराहट क्या युद्ध में तब्दील होगी ?

-अशोक भाटिया

रूस के लड़ाकू विमान से मंगलवार को अमेरिका का मानवरहित निगरानी ड्रोन टकरा गया था। ये टक्कर ब्लैक सी के ऊपर हुई थी जिसके बाद से दोनों देशों बीच तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। अब अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने बुधवार  को बयान जारी करते हुए कहा कि जहां भी अंतरराष्ट्रीय कानून की अनुमति होगी ,अमेरिकी विमान वहां उड़ेंगे। अमेरिका के रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने रूस को चेतावनी दी कि उसके जेट की वजह से अमेरिकी ड्रोन मार गिराया गया। इसके बाद वो आगे से सावधानीपूर्वक काम करें। रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने ये बयान ब्लैक सी के ऊपर ड्रोन वाले मामले के तुरंत बाद घटना के बारे में रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के साथ फोन पर बात की।

दो रूसी लड़ाकू विमान की वजह से मानवरहित अमेरिकी निगरानी ड्रोन क्षतिग्रस्त हो गया जिसमें ड्रोन के प्रोपेलर को नुकसान पहुंचा। वहीं टकराने के तुरंत बाद अमेरिकी निगरानी ड्रोन नीचे के पानी में गिर गया। इस घटना के बाद अमेरिका ने इसे लापरवाह और अनप्रोफेशनल करार दिया, जबकी रूस ने अमेरिका के आरोपों का खंडन करते हुए  इनकार किया और अमेरिका पर ही क्षेत्र में गलत धारणा के साथ उड़ान भरने का आरोप लगाया।यूएस डिफेंस सचिव ऑस्टिन ने शोइगू के साथ कॉल के बाद मीडिया से कहा कि अमेरिका को जहां भी अंतरराष्ट्रीय कानून की अनुमति मिलेगी, वहां वो उड़ान भरेगा और अपने काम को जारी रखेगा। अब ये रूस पर निर्भर करता है कि वो अपने सैन्य विमानों को सुरक्षित और पेशेवर तरीके से संचालित करे।

अमेरिकी संयुक्त प्रमुखों के अध्यक्ष मार्क मिले ने कहा कि पेंटागन अभी भी ड्रोन से वीडियो और डेटा का विश्लेषण कर रहा है ताकि यह पता चल सके कि वास्तव में क्या हुआ था। उन्होंने कहा कि अभी तक हमें नहीं पता कि ये जानबूझकर किया गया था या नहीं। मिले ने रूस पर निशाना साधते हुए कहा कि हम जानते हैं कि ये रूकावट जानबूझकर पैदा की गई थी। ये उनके तरफ से आक्रामक व्यवहार जानबूझकर किया गया था। हम यह भी जानते हैं कि यह बहुत ही अनप्रोफेशनल और बहुत अनसेफ था। रूस-यूक्रेन युद्ध के एक साल बाद अमेरिका का रूस से किसी मुद्दे को लेकर बात करना और उस पर से दोनों देशों के शीर्ष अधिकारियों के बीच सीधा संपर्क बेहद दुर्लभ है। इस पर रक्षा सचिव ऑस्टिन ने कहा कि हम तनाव बढ़ने की किसी भी संभावना को बहुत गंभीरता से लेते हैं और इसलिए मेरा मानना है कि संचार के रास्ते खुले रखना महत्वपूर्ण है।

दरअसल ये दुर्घटना तो छोटी थी और इंटरनैशनल एयरस्पेस में हुआ था। हम अनुमान भी लगाएं कि अगर ये इंटरनैशनल एयरस्पेस में नहीं होता या इंटरनैशनल वॉटर्स के ऊपर नहीं होता तो क्या होता। इसी प्रकार की दुर्घटनाएं दुनिया को युद्ध के कगार पर ले आती हैं। अगर आपको याद हो कि एक दुर्घटना ही थी, जिससे फर्स्ट वर्ल्ड वॉर की शुरुआत हुई थी। इस तरह की दुर्घटनाओं को हम ये नहीं कह सकते हैं होगी ही नहीं, या ऐसी आशंकाएं निर्मूल हैं, ऐसी होती रहेंगी। सवाल है कि दोनों देश  कैसे रिएक्ट करती हैं। ये जो विशेष घटना, जिसकी अभी चर्चा हो रही है  उसमें अमेरिका का कहना है कि MQ-9 उनका ड्रोन है। दो रूसी फाइटर प्लेन्स ने उनका 30 से 35 मिनट तक पीछा किया या उसके चारों तरफ घूमे। उन पर जो ईंधन होता है वो गिराया ताकि उसको किसी तरह नष्ट किया जा सके। रूसी कहते हैं कि ये उनके टेरिटरी की तरफ यानी यूक्रेन से कैप्चर वाले क्रीमिया की तरफ बढ़ रहा था। वो नहीं चाहते थे कि वो उसके एयरस्पेस में जाए। लेकिन ये सिर्फ अनमैन्ड एरियल वीकल नहीं है। जिन रूसी टोही विमानों ने उसको गिराया है, पहले अंदाजा लगाया है कि MQ-9 में एक अपाचे हेलिकॉप्टर जितनी 16 मिसाइलें भरी जा सकती हैं। ये पूरी तरह से एक उकसावे वाली कार्यवाही थी जो अमेरिका ने की थी और जो दिख गया। ये सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि अनमैन्ड एरियल वीकल से देखा जाता है कि ब्लैक सी से कई बार रूस ने क्रूज मिसाइल छोड़ी है। उसका अनुमान लगाने के लिए भी ये किया जाता है।

रूस ने अपनी तरफ से कहा है कि यह उतनी सीरियस घटना नहीं है, लेकिन अमेरिका इसको सीरियस घटना मान रहा है। ऐसी दुर्घटनाओं का इतिहास भी रहा है। जैसे अगर 2015 में हम देखें तो सीरिया तुर्की के बॉर्डर पर एक रूसी सिविलियन एयरक्राफ्ट को गिरा दिया गया था। उस समय तुर्की चूंकि नाटो का सदस्य है तो रूस में कोई लड़ाई जैसी बात नहीं हुई। लेकिन अभी विश्व एक ऐसे मुहाने पर है जहां युद्ध की आशंका बहुत ज्यादा है, खासकर रूस और अमेरिका का आमने-सामने आना एक बहुत बड़ी घटना हो सकती थी। मान लीजिए इसमें 16 हार्पून मिसाइल होती जो जेनरली अनमैन्ड एरियल वीकल कैरी करते हैं तो क्या होता। दुर्घटनाओं पर अगर ध्यान न दिया जाए, अगर सिर्फ इस घटना पर ही ध्यान दिया जाए तो ये एक बहुत बड़ी घटना है। लेकिन जैसे कि अनुमान लगाया जा रहे हैं, अमेरिका प्रोटेस्ट कर रहा है। उनके एम्बेसडर्स को बुलाया। लेकिन अब उनके एम्बेसडर्स ने भी कहा कि ये क्रीमिया की तरफ बढ़ रहा था। उन्होंने ये नहीं कहा कि उनको गिराया है। आप समझ सकते हैं कि किसी भी फाइटर प्लेन के लिए बड़ा आसान होता है कि एक मिसाइल दाग दो, वो गिर जाएगा। कोई भी ऑब्जेक्ट हो। ये अमेरिका में चीनी स्पाई बैलून के लिए अमेरिकन्स ने किया है। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने उसको हिट किया और उसका प्रोपेलर तोड़ा। यानी वो भी कहेंगे कि ऐक्सिडेंट था। लेकिन ये एक सीरियस घटना है। जिसे हमें नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए।

ज्ञात हो कि ब्लैक सी एक तरह से भूमिबद्ध समुद्र है। इसका एक ओपनिंग है, जो डार्डनेल्स स्ट्रेट कहते हैं जो तुर्की कंट्रोल करता है। हालांकि एक एग्रीमेंट है मंट्रियो एग्रीमेंट। जिसमें ये कहा गया है कि इस डार्डनेल्स स्ट्रेट से कोई युद्धपोत या युद्धक जहाज नहीं जा सकता है। ब्लैक सी पर रूस का पिछले 150 साल से कब्जा है। कब्जे से मतलब है कि उनके जितने सीमावर्ती देश हैं, जैसे तुर्की एक बहुत बड़ा देश है। जॉर्जिया, रोमानिया, यूक्रेन इन सब पर वो कंट्रोल कर सकता है, जिसका ब्लैक सी पर कंट्रोल रहा। इनका आपस में व्यापार तो होता ही है। व्यापार के लिए ये वॉर्म वॉटरपोर्ट है। क्रीमिया को जब रूस ने अपने आप में मिलाया तो उसका एक बहुत बड़ा कारण ये भी था कि वो एक यूक्रेनियन नौसैनिक बेस था जो रूस और यूक्रेन शेयर करते थे। वॉर्म वॉटरपोर्ट होने के चलते रूस हमेशा यहां से ट्रेड कर सकता है। दूसरी तरफ जो नॉर्थ पोल के तरफ सेंट पीटर्सबर्ग या उसके लगने वाले तट हैं, वहां से छह महीने तक भारी मालवाहक जहाज नहीं जा सकते हैं जबकि ब्लैक सी से मेडिटेरेनियन सी और आगे पूरी दुनिया में जाते हैं, इसलिए रूस उस पर कंट्रोल चाहता है। वो ये भी चाहता है कि किसी ना किसी तरह यूक्रेन को पूरी तरह से ब्लैक सी से काट दिया जाए हालांकि ये संभव नहीं लग रहा है। ये एक लैंडलॉक्ड स्टेट हो जाएगा। ब्लैक सी का एक स्ट्रैटिजिक महत्त्व है कि ये एक वॉर्म वॉटरपोर्ट है। इससे कई सारी पानी की सीमाएं लगती है या बंदरगाह हैं।

वैसे इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। असल में ये जो घटना भी अगर  बहुत ध्यान से देखें तो रूस ने क्या किया है? रूस ने उनको दिखा दिया कि हम आप को ऑब्जर्व कर रहे हैं। आप ये मत समझें कि आप सबसे शातिर हैं सर्विलांस के गेम में, इंटरसेप्शन के गेम में या कम्युनिकेशन के गेम में। हार देश एक दूसरे पर  नजर रख रहे हैं। ये उसका पहला ऑब्जेक्टिव था। यूक्रेन को जितनी ताकत मिली है आज, खासकर इन्टेलिजन्स के लिए, वो अमेरिका से या नाटो से या ऐसे देशों से मिली है जिसके चलते वो रूस पर काउन्टर अटैक कर रहा है। पूरे युद्ध प्रकरण में अगर देखें तो ड्रोन्स का का महत्व बहुत बढ़ गया है। उस लिहाज से हो सकता है कि आगे भी ऐसी घटनाएं हों। अगर इंटरनैशनल वॉटर्स में हुआ तो कोई प्रॉब्लम नहीं है या इंटरनैशनल एयरस्पेस में हुआ तो कोई प्रॉब्लम नहीं है। लेकिन अगर यही टोही ड्रोन अगर यूक्रेन में टकराया होता अमेरिकी प्लेन से तो शायद चीजें अलग तरह से देखी जाती। लेकिन इस तरह की चीजें सबको पता है कि रूस भी करता है। अमेरिका भी करता है। इस तरह के इंटरसेप्शन का, इस तरह के कम्युनिकेशन इक्विपमेंट्स का। जब क्रूज़ मिसाइल या अन्य मिसाइलें छोड़ी जाती हैं जो आजकल रिमोटली कंट्रोल होती हैं उनमें सैटेलाइट्स का और ड्रोन्स का बहुत बड़ा रोल रहता है। उनके रास्ते को, उनकी स्पीड को उनके घुमाव को वो देखते हैं।

वैसे  लग रहा है कि दोनों देशों ने संयम से काम लिया है। अब तक बहुत संयम से काम लिया है। लेकिन अमेरिका का नुकसान हुआ है। वो अपनी जनता को दिखाना चाहता है या नाटो को दिखाना चाहता है कि हम प्रोटेस्ट कर रहे हैं। लेकिन दोनों ने संयम से काम लिया। रूस ने तो बिलकुल डाउनप्ले किया है। हालांकि आपने डोमेस्टिक ऑडियंस में रूस ये दिखाएंगा कि देखो हमने अमेरिका का एक ड्रोन गिराया है। तो उनके लिए एक प्रोपगैंडा वैल्यू अपनी जनता के लिए बहुत होगा। लेकिन दोनों ने इस को डाउनप्ले करने की कोशिश की है। सबसे अच्छी बात है कि ये ऐक्सिडेंट की तरह दिखाया गया है। जो हम सब जानते हैं, ऐक्सिडेंट नहीं होगा क्योंकि प्रोपेलर को 35 मिनट तक घेर कर उसको गिराना यानी तोड़ना बहुत अडवांस तरीके से किया गया है। ऐसा  नहीं लगता है कि ये बात आगे बढ़ेगी।

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