प्रतिदिन सुनने में आता है कि हृदय गति रूक जाने से अमुक की मृत्यु हो गई, अमुक-अमुक की जान कैंसर ने ले ली। डायबटीज के रोगी दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं। क्या हमने इनके कारणों पर विचार किया है कि असमय मृत्यु की दर क्यों बढ़ती जा रही है।
पहला कारण हमारे खान-पान का अव्यवस्थित होना, भक्ष्य अभक्ष्य में भेद न करना। घर के खाने को हम हेय दृष्टि से देखने लगे हैं। बाहर के फास्टफूड जैसे कूड़े-करकट को हम कितना सम्मान दे रहे हैं। इस प्रकार के भोजन बीमारियां ही तो बढ़ा रहे हैं। आदमी की जीवनी शक्ति में ह्रास होता जा रहा है।
घर की महिलाएं भी पहले कपड़े, बर्तन, खाना, पोछा लगाने के सारे काम स्वयं कर लेती थी। एक पोछा लगाने में ही सारा जिम हो जाता था। पहले परिवार के लोग बाहर भीतर के कार्य मिल-जुलकर ही कर लेते थे तो स्वास्थ्य अच्छा रहता था, पर आज तो हर काम के लिए अलग-अलग काम वाली है और घर की महिलाएं जिम में या किट्टी पार्टी में अपना समय बिता रही हैं।
सच यही है कि हमने शारीरिक कार्यों को सम्मान देना बंद कर दिया है। काम करके शरीर से पसीना नहीं बहाया जायेगा तो शरीर में बीमारियां ही बढेंगी। असमय मृत्यु की आशंका भी बनी रहेगी। पता नहीं कौन सी बीमारी प्राण लेकर बैठ जाये।