Wednesday, April 2, 2025

अनमोल वचन

मनीषी बताते आये हैं कि आदमी के कर्मों से ही उसका भाग्य निर्धारित होता है। मनुष्य जैसे कर्म करता है उसे उसका फल भी वैसा ही मिलता है। कर्म करने में मनुष्य स्वतंत्र है, परन्तु उस कर्म के फल का भोग करने में वह परतंत्र है। जो शुभाशुभ कर्म मनुष्य अपने जीवन काल में करता है, उन्हें मिलाकर ही उनका भाग्य बनता है। उसी के अनुसार उसे अगला जन्म मिलता है। उस जन्म में कब-कब सुख दुखादि द्वन्द्वों को उसे भोगना पड़ेगा, इसका भी निर्धारण होता है। सुकर्म या दुष्कर्म जैसे भी चाहे वैसे कर्म मनुष्य कर सकता है। जब उन कर्मों का फल भुगतना पड़ता है, तब उसकी इच्छा नहीं पूछी जाती। वह फल तो उसे हर दशा में भोगना ही भोगना है, चाहे वह हंसे अथवा रोये। उसे वहां कोई छूट नहीं मिलती। कर्मों से छुटकारा उनका फल भोगने के पश्चात ही मिलता है। यह ज्ञान सभी को है कि शुभ कर्मों का फल सुखदायक और दुष्कर्मों का पीड़ादायक होता है। इसी कारण सभी शास्त्र, ऋषि, मनीषी, हमें शुभ कर्मों में प्रवृत रहने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

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