स्वप्न देखना बुरा नहीं। सच यह है कि हम अच्छी उपलब्धियों के लिए पहले स्वप्न देखते है अथवा कल्पना करते है कि मुझे यह पाना है यह बनना है और फिर उसको प्राप्त करने के लिए पुरूषार्थ करते हैं और अपनी क्षमताओं के अनुसार बहुधा उसे पाते है, किन्तु कभी भी असम्भव के लिए सपने देखना बुद्धिमानी नहीं।
उसी की कल्पना करे उसी के सपने देखे जो आपके लिए स्तरीय हो। आपके पुरूषार्थ और क्षमताओं के अनुसार जो प्राप्त हो सका उसी में सुख का अनुभव करिए। जो पा नहीं सके उसके लिए चिंता न करे अपने स्वास्थ्य को खराब न करे।
जो प्रभु ने आपको दिया है उसी में आनन्द का अनुभव करते हुए उसकी कृपाओं के लिए उसका धन्यवाद करे, जो पा नहीं सके उसके लिए कई बार मनुष्य भगवान को ही कोसने लगता है, यह बुरी बात है। असम्भव की कल्पना करना मृगमरिचिका में भटकने के समान है, उससे तो संताप ही मिलेगा और जो मिला है उसका आनन्द उठाने से भी आप वंचित रह जायेंगे। याद रखो आपके हाथ में केवल निष्ठा के साथ पुरूषार्थ करना है फल आपके आधीन नहीं है। फल का निर्णय तो प्रभु के हाथ में है।