Friday, November 22, 2024

आयुष्मान कार्ड बनाने में योगी सरकार ने रचा कीर्तिमान,1 करोड़ 80 लाख परिवार के बने आयुष्मान कार्ड

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को मिशन के तौर पर लेकर प्रदेश में आगे बढ़ रहे हैं। पूरे देश में आयुष्मान भारत के तहत आयुष्मान कार्ड बनाने में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। वहीं इसके बाद क्रमश: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का नंबर आता है।

1 करोड़ 80 लाख परिवार के बनाए गए आयुष्मान कार्ड

स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रिहेंसिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज़ (सांची) की सीईओ संगीता सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेश के गरीब लोगों को नि:शुल्क और गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश के पात्र लाभार्थियों के शत-प्रतिशत आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिए समय-समय पर प्रदेशभर में विशेष अभियान भी चलाया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मॉनिटरिंग और दिशा-निर्देश का ही नतीजा है कि उत्तर प्रदेश पूरे देश में आयुष्मान कार्ड बनाने में पहले पायदान पर है। उत्तर प्रदेश में अब तक 1 करोड़ 80 लाख परिवार के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। इसमें से 1 करोड़ 31 लाख परिवार के आयुष्मान कार्ड प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बनाए गए हैं, जबकि 56 लाख परिवार के आयुष्मान कार्ड मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बनाए गए हैं।

इलाज में अब तक 3,914 करोड़ की धनराशि खर्च

सांची की सीईओ ने बताया कि प्रदेश में कुल लाभार्थियों में से 70 प्रतिशत परिवारों के आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। योगी सरकार ने पात्र लाभार्थियों के शत-प्रतिशत कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया है। वहीं इलाज के लिए लाभार्थियों को भटकना न पड़े इसके लिए योगी सरकार अब तक प्रदेश के 3,662 अस्पतालों को आयुष्मान कार्ड से जोड़ चुकी है। इसमें 1118 सरकारी और 2544 निजी अस्पताल शामिल हैं। इन अस्पतालों द्वारा 27,62,262 लाभार्थियों का इलाज किया जा चुका है। इनमें से कई ऐसे लाभार्थी हैं जिन्होंने दो से तीन बार इलाज कराया है। वहीं अति गंभीर बीमारी किडनी ट्रांसप्लांट, हार्ट सर्जरी, हार्ट डिजीज, कूल्हा-घुटना प्रत्यारोपण और कैंसर के इलाज के साथ सर्जरी कराने वाले 4,37,290 लाभार्थी भी शामिल हैं। इसके लिए अब तक 3,914 करोड़ की धनराशि खर्च की जा चुकी है। इसमें से 1502 करोड़ की धनराशि अति गंभीर बीमारी के इलाज में खर्च की गयी है।

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