नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया गया यह निर्णय डिजिटल भुगतान पर प्रभाव डालने वाला है। अब 2000 रुपये से कम के डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजेक्शन पर 18% जीएसटी लगाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि पेमेंट गेटवे द्वारा वसूली जाने वाली मर्चेंट फीस पर भी यह जीएसटी लागू होगी, जिससे मर्चेंट और उपभोक्ता दोनों पर अतिरिक्त शुल्क का बोझ बढ़ेगा। कमेटी का मानना है कि इस तरह के जीएसटी से ग्राहकों पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.
इस फैसले से खासतौर पर छोटे और मंझोले व्यापारियों पर असर पड़ सकता है, जो कम राशि वाले ट्रांजेक्शनों पर अधिक निर्भर होते हैं। हालाँकि, सरकार का यह कदम जीएसटी संग्रह में वृद्धि के उद्देश्य से उठाया गया है।
जीएसटी फिटमेंट कमेटी की सिफारिश के अनुसार पेमेंट एग्रीगेटर्स द्वारा अर्जित आय पर 18% जीएसटी लगाया जाएगा। पेमेंट एग्रीगेटर, जैसे रेजरपे, पेटीएम, और गूगलपे, थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म होते हैं जो मर्चेंट्स को भुगतान स्वीकार करने में सहायता करते हैं। इस सिफारिश का उद्देश्य पेमेंट एग्रीगेटर्स से राजस्व संग्रह करना है, लेकिन कमेटी का मानना है कि इसका सीधा असर ग्राहकों पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह कर पेमेंट एग्रीगेटर्स पर लागू होगा, न कि सीधे उपभोक्ताओं पर।
हालांकि, लंबे समय में यह भी संभव है कि एग्रीगेटर्स अपनी बढ़ी हुई लागत को मर्चेंट्स पर स्थानांतरित कर सकते हैं, जिससे अंततः ग्राहकों पर अप्रत्यक्ष असर हो सकता है।
वह पेमेंट एग्रीगेटर्स और छोटे व्यापारियों पर उनके प्रभाव के बारे में है। सही कहा, पेमेंट एग्रीगेटर्स मर्चेंट्स से एक प्रतिशत शुल्क लेते हैं, जो आमतौर पर 0.5-2% के बीच होता है। यह शुल्क हर लेन-देन पर लगाया जाता है, और सरकार इस पर सर्विस टैक्स लेती है।
हालांकि, आम उपभोक्ता पर इसका सीधा असर नहीं होता क्योंकि यह शुल्क दुकानदारों द्वारा वहन किया जाता है, लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए यह परेशानी का कारण हो सकता है। उनके मुनाफे पर इस शुल्क का प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब उनका मार्जिन पहले से ही कम हो। छोटे व्यापारियों को यह अतिरिक्त खर्च ग्राहकों से वसूलने में कठिनाई होती है, जिससे उनके व्यवसाय पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद् की बैठक में बीमा प्रीमियम पर कराधान, मंत्रिसमूह (जीओएम) से दरों को युक्तिसंगत बनाने के सुझाव और ऑनलाइन गेमिंग राजस्व पर स्थिति रिपोर्ट सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा फिटमेंट समिति द्वारा जीवन, स्वास्थ्य और पुनर्बीमा प्रीमियम पर लगाए गए जीएसटी तथा राजस्व निहितार्थ पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने की भी उम्मीद है। परिषद् की 53वीं बैठक इस वर्ष जून महीने में हुई थी। बैठक में जीएसटी परिषद ने सभी प्रकार के इस्पात, लोहे और एल्युमिनियम मिल्क कैन पर 12 फीसदी जीएसटी की समान दर की सिफारिश की थी। इसके अलावा परिषद् ने आम लोगों के लिए भारतीय रेलवे की सेवाओं पर जीएसटी नहीं लगाए जाने की भी अनुशंसा की थी।
जीएसटी काउंसिल की बैठक आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित की गई। इस बैठक में बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी दरों पर ध्यान केंद्रित किया गया और ग्राहकों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।