पटना। बिहार के दरभंगा में प्रदेश के दूसरे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की घोषणा हुए करीब आठ साल गुजर गए, लेकिन अभी तक सही मायने में जमीन ही तय नहीं हुई है कि यह कहां बनेगा, शिलान्यास की बात तो दूर की बात है।
दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान बजट पेश करते हुए तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दरभंगा में एम्स की घोषणा की थी। उस समय मिथिलांचल के लोगों की उम्मीद जगी थी कि जल्द ही इस अस्पताल के निर्माण कार्य की शुरुआत होगी और यहां के लोगों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। दरभंगा एम्स के लिए शुरू से ही भूमि का विवाद रहा है। उसी दौरान सहरसा में भी एम्स बनाने की मांग उठाई जाने लगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद बिहार सरकार ने दरभंगा मेडिकल काॅलेज अस्पताल को ही अपग्रेड कर एम्स बनाने का सुझाव दिया। इसके बाद बिहार सरकार ने दरभंगा मेडिकल कॉलेज की खाली पड़ी जमीन में एम्स बनाने का सुझाव दिया। यह सुझाव भी केंद्र सरकार को पसंद नहीं आया। केंद्र सरकार ने बिहार सरकार से 200 एकड़ जमीन देने की मांग की। बिहार सरकार ने दरभंगा हवाईअड्डे के पास शोभन में एम्स के लिए जमीन तय कर दी। बताया जाता है कि जमीन की जांच को आई केंद्रीय टीम ने इसमें कई समस्याएं गिनाकर प्रस्ताव खारिज कर दिया।
इसके बाद अशोक पेपर मिल की खाली पड़ी जमीन देने की बात भी सामने आई। इस बीच, जब मुख्यमंत्री अपनी एक यात्रा के क्रम में दरभंगा पहुंचे, तब वहां के जिलाधिकारी ने एक खाली जमीन दिखाई। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि वर्ष 2015 में जब दूसरे एम्स के बनने की बात आई तो हमने केंद्र से दरंभगा का जो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल है, वहीं पर बना देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि पहले इसको स्वीकार कर लिया गया और अब कहा जा रहा है कि वहां पर नहीं बनाएंगे, कहीं दूसरी जगह बनाएंगे। समाधान यात्रा के दौरान दरभंगा के डीएम ने एम्स निर्माण को लेकर शोभन बाईपास की जमीन दिखाई थी। नीतीश ने कहा था, ”यह जमीन काफी अच्छी है। पता नहीं क्यों वे लोग वहां पर एम्स का निर्माण नहीं कराना चाहते। मेरी इच्छा है कि वहीं पर एम्स बने।” दरभंगा में एम्स का निर्माण हो जाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दावे पर मुख्यमंत्री ने कहा, ”आपलोग जाकर वहां देख लीजिए कि वहां पर एम्स बन गया है? अगर वहां पर एम्स बन जाता तो हमलोग मोदीजी का अभिनंदन नहीं करते?”
इधर, भाजपा सांसद और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि महागठबंधन सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने राजद-जदयू के बीच श्रेय लेने की खींचतान के चलते दरभंगा में एम्स बनाने का मामला उलझा दिया। वे बताएं कि एम्स को दी गई 81 एकड़ जमीन वापस क्यों ली गई? उन्होंने पूछा कि 2000 करोड़ रुपये से बनने वाले एम्स-दरभंगा को सहरसा ले जाने के लिए नीतीश कुमार ने दिनेशचंद्र यादव सहित 15 जदयू सांसदों से ज्ञापन क्यों दिलवाया?
मोदी ने पूछा कि महागठबंधन सरकार बनने और स्वास्थ्य सहित कई विभाग तेजस्वी प्रसाद यादव को मिलने पर लालू प्रसाद के करीबी भोला यादव ने अशोक पेपर मिल (हायाघाट) के परिसर में एम्स के लिए जमीन देने की घोषणा किसके इशारे पर की थी? कौन चाहता था कि एम्स दरभंगा में नहीं बने? उन्होंने कहा कि दरभंगा में एम्स बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं मिले, इसलिए पहले दो साल तक तो मुख्यमंत्री इस बात अड़े रहे कि डीएमसीएच को ही अपग्रेड कर एम्स बना दिया जाए। बाद में बिहार सरकार दरभंगा एम्स के लिए डीएमसीएच परिसर में ही 150 एकड़ जमीन देने पर राजी हो गई। 82 एकड़ जमीन आवंटित भी कर दी गई थी।
मोदी ने कहा कि बाद में जदयू के दबाव में बिहार सरकार ने शोभन बाइपास में जो 151 भूमि आवंटित की, वह सड़क से 30 फीट नीचे गड्ढे में जल-जमाव वाली भूमि थी। उसे केंद्रीय टीम ने एम्स का भवन बनाने के लिए उपयुक्त नहीं पाया। मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार ने दरभंगा एम्स की कल्याणकारी योजना को ही घटिया राजनीति के गहरे गड्ढे में धकेल दिया।