मेरठ। आज शारदीय नवरात्र में दुर्गा महा अष्टमी धृति योग में मनाई जा रही है। यह उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में प्रातः सूर्योद्नी अष्टमी भी कही जा सकती है। जिसमे सरस्वती पूजन विशेष रूप से किए जाने के योग हैं।
ज्योतिषाचार्य पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार 22 अक्तूबर को अग्नि का वास, रविवार को रात्रि में होने से हवन के लिए अनुकूल समय रात्रि में 9.00 बजे से है। दिनांक 23, सोमवार को अग्नि का वास पृथ्वी पर पूरा दिन रहने से सारा दिन यज्ञ हवन के लिए शुभ है। लेकिन कन्या पूजन हवन के बाद किया जाता है अतः हवन आज रविवार की रात्रि में करने कन्या पूजन सोमवार की प्रातः भी किया जा सकता है। सोमवार को प्रातः हवन के पश्चात कन्या पूजन किया जा सकता है।
दुर्गा अष्टमी पर घर-घर पूजी गईं कंजक
शारदीय नवरात्र के अष्टमी पर्व पर मेरठ में सुबह से घर-घर कंजक पूजी जा रही हैं। मेरठ के प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की कतारें देवी के दर्शन को लगी हैं। शारदीय नवरात्र अष्टमी है। नवरात्र के पावन पर्व पर कन्या पूजन का महत्व है। मेरठ में आज अष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। घरों में कंजक यानी कन्या पूजन हो रहा है। वहीं सुबह से मेरठ के प्रमुख देवी मंदिरों, मंशा देवी, गुफा वाली देवी का मंदिर, सदर काली माता मंदिर, गोल मंदिर, राजराजेश्वरी त्रिपुर सुंदरी मंदिर श्रद्धालुओं की सुबह से भीड़ देखी जा रही है। देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हैं।
पावन नवरात्रि का पर्व आज रविवार को कुछ जगहों पर कन्या पूजन के साथ संपन्न होगा। पिछले आठ दिन से व्रत रखकर देवी दुर्गा के चरणों में पूजा अर्चना करने वाले भक्तों को आज कन्या पूजन के लिए कन्याओं को ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ रही है। एक-एक कंजक को कई-कई जगह मां दुर्गा का रूप धारण कर प्रसाद ग्रहण करना पड़ रहा है।
मान्यता चली आ रही है कि जो श्रद्धालुगण नवरात्र का व्रत कर अष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा कर श्रद्धा पूर्वक भोजन करवाते हैं। उन पर मां भगवती दुर्गा अपना पूर्ण आर्शिवाद प्रदान करती हैं।
बता दें कि मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा के साथ कंजक पूजन का भी महत्व है। मेरठ में अष्टमी को कन्या पूजन होता है। मेरठ ही नहीं पूरे पश्चिम यूपी में नवरात्र की अष्टमी को कन्या पूजन किया जाता है। हालांकि कुछ लोग नवमी को भी कन्या पूजन करते हैं।