नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी झाग की मोटी चादर की आगोश में है। यह चादर छठ पर्व के व्रतियों के धैर्य की परीक्षा लेती नजर आ रही है। हाल यह है कि ओखला बैराज के बाद यमुना का पानी दिखना ही बंद हो जाता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की रिपोर्ट के मुताबिक, यमुना नदी की लंबाई करीब 1,370 किलोमीटर है। इसमें से पल्ला से कालिंदी कुंज की लंबाई 54 किलोमीटर है। वजीराबाद से कालिंदी कुंज का हिस्सा 22 किलोमीटर है। यह यमुना की पूरी लंबाई का सिर्फ दो फीसदी है। महत्वपूर्ण यह है कि यमुना में करीब 76 फीसदी प्रदूषण इसी हिस्से में होता है। मानसून के अलावा वर्ष के बाकी नौ महीनों में नदी में ताजा पानी नहीं रहता।
दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी का कहना है कि रसायनों की मदद से यमुना नदी पर झाग साफ करने का काम चल रहा है। इसका छिड़काव गुरुवार को किया गया। इससे एक-दो दिन में पानी साफ हो जाएगा।