मन का भटकाव कुछ नहीं मात्र व्यक्ति के विचारों में आई विकृति है। यदि हम सही चिंतन, तथ्य, तर्क और प्रमाणों की खोज करते हुए सही मार्ग अपना ले तो जीवन में हंसी खुशी का साम्राज्य स्थापित हो सकेगा, भटकाव समाप्त होकर निरन्तर प्रगति की ओर बढ़ते चले जायेंगे।
तब केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानव जाति के लिए उपयोगी हो सकते हैं। सफलता, असफलता, उन्नति अवनति, सुख, दुख, शान्ति, अशान्ति आदि सभी मनुष्य के अपने विचारों पर निर्भर करते हैं।
विचार ही व्यक्ति के जीवन का दर्पण है। मनुष्य को कायर, वीर, स्वस्थ, अस्वस्थ, प्रसन्न, अप्रसन्न, कुछ भी बनाने में उसके विचारों का महत्वपूर्ण हाथ होता है। अच्छे विचार उन्नत बनायेंगे, जबकि विचारों की निकृष्टता उसे अन्धे कुएं में धकेल देगी। विचारशील व्यक्ति की गणना सामर्थ्यवान व्यक्तियों में, जबकि विचारहीनों की गणना पापियों में की जाती है।
विचार क्षमता को बढ़ाने के लिए स्वाध्याय, चिंतन-मनन, सत्परामर्श आदि उपाय उपयोगी होते हैं। इन उपायों, साधनों का जो उपयोग नहीं करते वे केवल जीवन का भार ढोने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर पाते और जो सदुपयोग कर लेते हैं वे महापुरूष बन जाते हैं।