Monday, December 23, 2024

अनमोल वचन

बीते कल से वासंत नवरात्रों का आरम्भ हो चुका है। सभी सनातन धर्मी इन दिनों में परमपिता परमात्मा की शक्ति मां के रूप में पूजा करते हैं। शक्ति को हमारी संस्कृति में एक स्त्री के रूप में देखा गया है। उसी पराशक्ति को देवी दुर्गा, भवानी, माता, काली, सरस्वती इत्यादि भिन्न-भिन्न रूपों में स्वीकारा गया है।

शास्त्रों की मान्यता यह है कि संसार के सभी पदार्थों के मूल में यही पराशक्ति विद्यमान है। यही शक्ति हम सभी के भीतर विराजमान है। न केवल हमारी देह में बल्कि हमारे मन में यहां तक की हमारी आत्मा में भी यही शक्ति विराजमान है।

शक्ति का अपना कोई स्वरूप नहीं होता। यह शक्ति विभिन्न रूपों-तरंगों में भी प्रतीत होती है वह निराकार है और साकार भी है अर्थात वह पदार्थ भी है और वही ऊर्जा भी है। इसी शक्ति का प्रताप हम चांद और सूरज में भी देखते हैं। मनुष्य पशु, पक्षी, वृक्ष, पृथ्वी, पर्वत, स्वर्ण, चांदी, जल ग्रह नक्षत्र आदि सभी में इसी शक्ति का प्रताप दृष्टिपात हो रहा है।

इसी शक्ति का जब पदार्थ से निर्वाण हो जाता है अर्थात वह अपने मौलिक स्वरूप में आ जाती है। इसी को मुक्ति या मोक्ष कहा जाता है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय