खतौली। भाजपा नेता राजा बाल्मिकी के हत्यारोपित पूर्व चेयरमैन पारस जैन की अग्रिम जमानत के बाद एससीएसटी कोर्ट मुजफ्फरनगर ने बुधवार को नियमित ज़मानत अर्जी भी ख़ारिज कर दी है।
कस्बे के मोहल्ला देवीदास निवासी भाजपा नेता राजकुमार उर्फ राजा वाल्मीकि पुत्र बाबूलाल बाल्मिकी की 5 अप्रैल 2017 की प्रातः होली चौक स्थित अपनी दुकान पर बैठे होने के दौरान गोली मारकर नृशंस हत्या कर दी गई थी। मृतक राजा बाल्मिकी के भाई राणा प्रताप ने थाने में दर्ज कराए मुकदमे में तत्कालीन पालिका चेयरमैन पारस जैन को भी आरोपी बनाया था। पुलिस ने अन्य नामजद अभियुक्तों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जबकि पारस जैन के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल नहीं की थी।
पुलिस की कार्यवाही के विरुद्ध मुकदमे के वादी राणा प्रताप ने धारा 319 के अंतर्गत पारस जैन के अदालत से तलबी आदेश करा दिए थे। तलबी आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट से कोई राहत ना मिलने पर पारस जैन ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने पारस जैन को कोई राहत ना देकर निचली अदालत में पेश होकर अपनी ज़मानत कराने का आदेश दिया था।
जिसके बाद पारस जैन ने अप्रैल 2023 में एडीजे कोर्ट 2 मुजफ्फरनगर में अग्रिम और नियमित ज़मानत दिए जाने की अर्जी दाखिल की थी। जिस पर वादी राणा प्रताप ने राजा बाल्मिकी हत्याकांड से इतर पारस जैन की क्रिमिनल हिस्ट्री दाखिल करने के लिए स्थगन प्रार्थना पत्र दिया था। जिसे दरकिनार करके एडीजे कोर्ट ने पारस जैन को पहले अग्रिम तथा इसके बाद नियमित ज़मानत दे दी थी। जिसके विरुद्ध वादी राणा प्रताप ने हाई कोर्ट में अपील की थी। सुनवाई पश्चात हाईकोर्ट ने एडीजे कोर्ट मुजफ्फरनगर द्वारा पारस जैन को ज़मानत दिए जाने को गलत मान इसे निरस्त करके इन्हें 45 दिनों के अंदर निचली अदालत में पुन ज़मानत अर्जी दाखिल करने के साथ ही कोर्ट को कोई भी निर्णय लेने से पूर्व वादी राणा प्रताप को सुनवाई का अवसर दिए जाने के निर्देश दिए थे।
पूर्व चेयरमैन पारस जैन ने उच्च न्यायालय के आदेश पर राहत पाने के लिए 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। बीती 29 अप्रैल को सुनवाई पश्चात सुप्रीम कोर्ट ने पारस जैन की अपील निरस्त करके उच्च न्यायालय के आदेश को ज्यों का त्यों बरकरार रखने के साथ ही उन्हें हाई कोर्ट द्वारा तय की गई 4 मई के बजाये 17 मई तक निचली अदालत में आत्मसमर्पण करके अपनी ज़मानत कराने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय सीमा से दो दिन पहले ही पारस जैन ने बीती 15 मई को एससीएसटी कोर्ट में आत्मसमर्पण कर अग्रिम और नियमित ज़मानत दिए जाने की अर्जी दाखिल की थी। एससीएसटी कोर्ट के न्यायाधीश अशोक कुमार ने अग्रिम जमानत अर्जी ख़ारिज करके पारस जैन को जेल भेजकर नियमित ज़मानत पर सुनवाई की तारीख 20 मई मुकर्रर की थी। बताया गया 20 और 21 मई को पारस जैन की नियमित ज़मानत अर्जी पर वादी और प्रतिवादी के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद एससीएसटी कोर्ट के न्यायाधीश अशोक कुमार ने फैसला देने की तारीख 22 मई की मुकर्रर कर दी थी।
बुधवार को एससीएसटी कोर्ट के न्यायाधीश अशोक कुमार ने पारस जैन की नियमित ज़मानत अर्जी भी ख़ारिज कर दी। बताया गया कि हाई कोर्ट से ज़मानत मिलने तक पारस जैन को अभी कुछ और दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा।