नयी दिल्ली। केन्द्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में बंदरों को लेकर दिल्ली सरकार ने केन्द्र के सुझाव पर ध्यान नहीं दिया है।
यादव ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि वन अधिनियम के तहत बंदरों की प्रजातियों का वर्गीकरण किया गया है, जिनमें से कुछ प्रजातियां वन अधिनियम की श्रेणी से बाहर है और राजधानी में भी इसी श्रेणी के बंदर है जो न तो घरेलू है और न ही वन में रहने वाले।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को बंदरों को लेकर सुझाव दिये गये थे, जिस पर उसने ध्यान नहीं दिया। बंदरों को खाने में दवा देकर बंध्याकरण किया जा सकता है ताकि उनकी संख्या बढ़ने पर रोक लगायी जा सके। राजधानी में ओखला सहित कई वन क्षेत्र बनाये गये हैं, जहां इन बंदरों को छोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि बंदर का मामला स्थानीय प्रशासन के दायरे में आता है और इसको दिल्ली सरकार एवं दिल्ली नगर निगम को देखना है। यादव ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि नील गायों का मामला राज्य सरकार के अधीन आता है और नील गायों से फसल को बचाने का काम भी संबंधित राज्य सरकारों को ही करना है।